Big Mission for Farmers: राष्टीय फ्लोरीकल्चर मिशन से जैव विविधता को संपदा में बदलने की तैयारी

Big Mission for Farmers देश के बड़े वैज्ञानिक संस्थानों के महत्वाकांक्षी मिशन का मुख्य मकसद काश्तकारों को लाभ पहुंचाना और फ्लोरीकल्चर के व्यवसाय को विश्वस्तर पर और बढ़ाना है। अब तो जैव विविधता को संपदा में बदल कर फूल व पौधों के व्यवसाय को फलक पर पहुंचाने की तैयारी है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 05:03 PM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 05:03 PM (IST)
Big Mission for Farmers: राष्टीय फ्लोरीकल्चर मिशन से जैव विविधता को संपदा में बदलने की तैयारी
अद्भुत जैव विविधता को अभी तक संपदा के तौर पर देखा ही नहीं गया

लखनऊ [रूमा सिन्हा]। देश की अद्भुत जैव विविधता को हम सभी ने अभी तक संपदा के तौर पर देखा नहीं गया, जबकि इसमें अभूतपूर्व संभावनाएं हैं। अब इस दिशा में एनबीआरआइ सहित देश की चार प्रमुख वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं ने साझा मंच से राष्ट्रीय फ्लोरीकल्चर मिशन की शुरुआत की गई है। इससे जैव विविधता को संपदा में बदल कर फूल व पौधों के व्यवसाय को फलक पर पहुंचाने की तैयारी है।

देश के बड़े वैज्ञानिक संस्थानों के इस महत्वाकांक्षी मिशन का मुख्य मकसद काश्तकारों को लाभ पहुंचाना और फ्लोरीकल्चर के व्यवसाय को विश्वस्तर पर और बढ़ाना है। अब तो जैव विविधता को संपदा में बदल कर फूल व पौधों के व्यवसाय को फलक पर पहुंचाने की तैयारी है।

एनबीआरआइ (राष्ट्रीय वानस्पतिक अनुसंधान संस्थान) सहित देश की चार प्रमुख वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं ने हाल ही में साझा मंच से राष्ट्रीय फ्लोरीकल्चर मिशन की शुरुआत की है। इस महत्वाकांक्षी मिशन का मुख्य मकसद इस क्षेत्र से जुड़े काश्तकारों की आय को पांच गुना तक पहुंचाना है। इसके लिए पुष्प, सजावटी पौधों की देश के विभिन्न हिस्सों में सभी छुपी वानस्पतिक विरासत को सहेज कर उसके उत्पादन व उद्योग से जुड़े निर्यात को पंख दिलाने की तैयारी है।

एनबीआरआइ लखनऊ के निदेशक डा. एसके बारिक ने बताया कि इस मिशन के तहत उत्तर प्रदेश सहित देश के 21 राज्यों के अलग-अलग हिस्सों में जलवायु के आधार पर होने वाली वनस्पतियों को चिह्नित कर उनसे तैयार होने वाले बाइप्रोडक्ट पर काम किया जाएगा। यही नहीं, निर्यात के लिहाज से भी यह देखा जाएगा कि कौन सी प्रजातियां प्रमुख हैं। इस दौरान केवल पुष्प उद्योग को बढ़ाने के लिए चारों संस्था करीब 1,500 हेक्टेयर में पुष्प फसलों का उत्पादन करेंगी। इसमें शहरी क्षेत्रों में मिशन के तहत बड़े स्तर पर वर्टिकल गार्डन, छतों पर फ्लोरीकल्चर व हाइड्रोपोनिक्स को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके साथ ही अधिक से अधिक संख्या में पालीहाउस को प्रोत्साहित करने की भी योजना है।

अभूतपूर्व संभावनाएं: एनबीआरआइ का मानना है कि इस विशाल देश की अद्भुत जैव विविधता को अभी तक संपदा के तौर पर देखा ही नहीं गया। इसमें अभूतपूर्व संभावनाएं हैं। इसके लिए एनबीआरआइ ने एक रोडमैप तैयार किया है।

111 प्रजातियां चिह्नित: वर्तमान में देश में पुष्प फसलों की करीब 111 प्रजातियां चिह्नित भारत ने वर्ष 2018 में फ्लोरीकल्चर से जुड़ा पोस्ट व्यवसाय करीब 15,700 करोड़ रुपये आंका गया है। जिसे इस मिशन के जरिये वर्ष 2024 तक 47,200 करोड़ तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है। विश्वस्तर पर पुष्प और पौधों से जुड़ा व्यवसाय हर साल छह से 10 फीसद की दर से बढ़ रहा है। वर्तमान में भारत की भागीदारी विश्वस्तर पर बेहद कम है। इसलिए फ्लोरीकल्चर मिशन के जरिये इन संभावनाओं को रफ्तार देने की तैयारी की गई है। देश में पुष्प फसलों की करीब 111 प्रजातियां चिह्नित हैं, जबकि इस मिशन के तहत 42 नई प्रजातियों को जोड़ा जाएगा।

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