Corona Virus Effect: भातखंडे संस्थान में डेढ़ साल बाद लौटी रौनक, शुरू हुईं आफलाइन कक्षाएं
Bhatkhande Institute Lucknow कहीं गायन का रियाज चल रहा था तो कहीं से उठती घुंघरुओं की सुमधुर झंकार से मन झंकृत हो रहा था। वाद्ययंत्रों की जुगलबंदी का तो कहना ही क्या। करीब डेढ़ साल बाद भातखंडे संगीत संस्थान अभिमत विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों का संगीत गूंजा।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। कहीं गायन का रियाज चल रहा था तो कहीं से उठती घुंघरुओं की सुमधुर झंकार से मन झंकृत हो रहा था। वाद्ययंत्रों की जुगलबंदी का तो कहना ही क्या। करीब डेढ़ साल बाद भातखंडे संगीत संस्थान अभिमत विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों का संगीत गूंजा। कोरोना के कारण बंद चल रहीं आफलाइन कक्षाएं फिर से शुरू हो गई हैं। यहां प्रथम वर्ष को छोड़कर गायन, वादन और नृत्य की अन्य कक्षाओं में विधिवत पढ़ाई होने लगी है। आफलाइन के साथ ही विद्यार्थी आनलाइन जुड़कर भी कक्षाओं में शामिल हो रहे। कक्षाओं में शारीरिक दूरी के नियम का पालन करने के लिए विद्यार्थियों का अलग-अलग बैच बनाया गया है। अलग-अलग बैच अलग-अलग समय के हिसाब से कक्षाएं कर रहा।
गायन विभाग की हेड प्रो सृष्टि माथुर के अनुसार संगीत आमने-सामने बैठकर गुरु के सानिध्य में रहकर ही सीखा जा सकता है, पर कोरोना के कारण ऐसा संभव नहीं था। आनलाइन कक्षाओं से पढ़ाई का नुकसान तो नहीं हुआ, पर सीखने के लिए आफलाइन कक्षाएं ही बेहतर हैं। खासकर संगीत शिक्षा के लिए यह बेहद अहम है। नृत्य (कथक) विभाग की डा रुचि खरे ने कहा कि कुलसचिव शीलधर सिंह यादव ने बताया कि परीक्षा परिणाम भी आ गए हैं। अक्टूबर तक नया सत्र शुरू करने का प्रयास है।
विद्यार्थियों ने कहा- संगीत से मिलती सकारात्मकताः एमपीए (गायन) तृतीय सेमेस्टर की छात्रा निमिषा शर्मा ने बताया कि एक साल से ज्यादा हो गए थे, घर पर ही रियाज चल रहा था। शिक्षकों से आनलाइन तो हम सब जुड़े पर गुरु से आमने सामने सीखने का भाव ही कुछ खास है। प्रिया श्रीवास्तव ने कहा कि परीक्षा कभी भी हो सकती थी, इसलिए घर पर रहते हुए भी रियाज चलता रहा। बावजूद इसके संगीत सीखने का असली आनंद तो गुरु के सानिध्य में ही है। संगीत सकारात्मकता का संचार करता है। इसी सकारात्मकता ने हमें महामारी के समय भी सकारात्मक रखा। दीपांजलि और राजा चौहान ने कहा कि संगीत किताबी शिक्षा नहीं है, इसे आनलाइन माध्यम से बहुत कुछ नहीं सीखा जा सकता।आज इतने लंबे समय बाद संस्थान आकर कक्षा करने का आनंद ही अलग है।