आम को यूं ही नहीं कहा जाता फलों का राजा, जान‍िए इसके गुण और रोपने की सही व‍िध‍ि

आम का पौधा लगाने के ल‍िए पहली बारिश के बाद ही इसकी तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। आप अपने घर के आंगन में या लॉन में आम का पौधा रोकना चाहते हैं तो बाैनी किस्म जैसे आम्रपाली अरुणिका व अंबिका लगा सकते हैं।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 07:07 AM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 11:53 AM (IST)
आम को यूं ही नहीं कहा जाता फलों का राजा, जान‍िए इसके गुण और रोपने की सही व‍िध‍ि
कच्चे आम में विटामिन सी बहुतायत में होता है यह प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार होता है।

लखनऊ, [रूमा सिन्‍हा]। आम फलों का राजा तो है ही लेकिन इसकी गुठली, पत्तियां, लकड़ी सभी कुछ बेहद उपयोगी है। आम में विटामिन ए, बी1, बी2, कार्बो हाइड्रेट प्रोटीन कैल्शियम फास्फोरस पोटेशियम सोडियम आयरन प्रचुर मात्रा में मौजूद हैं। पहली बारिश के बाद ही इसकी तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। आप अपने घर के आंगन में या लॉन में आम का पौधा रोकना चाहते हैं तो बाैनी किस्म जैसे आम्रपाली, अरुणिका, व अंबिका लगा सकते हैं। वैसे तो आम के बाग कहीं भी लगाए जा सकते हैं लेकिन जहां अच्छी वर्षा और सूखी गर्मी की जलवायु सबसे मुफीद रहती है इसके लिए 23 से 26 डिग्री सेंटीग्रेड के करीब तापमान उत्तम रहता है। बलुई,पथरीली, क्षारीय और जलभराव वाली भूमि इसके लिए उपयुक्त नहीं होती। आम के पौधों को बीज से भी तैयार किया जाता है, इसके लिए जुलाई के महीने में गुठली लगा सकते हैं। इसके अलावा कलम, ग्राफ्टिंग व बडिंग द्वारा भी पौधे तैयार किए जाते हैं।

कैसे करें तैयारी : 50 सेंटीमीटर व्यास का एक मीटर गहरा गड्ढा मई माह में खोदकर उसमें लगभग 30 से 40 किलोग्राम प्रति गड्ढा गोबर की खाद मिट्टी में मिला कर और 100 ग्राम क्लोरोपायरी फोर्स पाउडर बढ़ाकर गड्ढों को भर देना चाहिए।

जुलाई में करें रोपण : पौधे लगाने के लिए जुलाई-अगस्त का महीना उपयुक्त है पौधों के बीच 10 मीटर गुणा 10-12 मीटर की दूरी रखना चाहिए।

खाद एवं उर्वरक : मिट्टी की भौतिक और रासायनिक दशा में सुधार के लिए हर पौधे में 25 से 30 किलोग्राम गोबर की सड़ी खाद देना अच्छा रहता है। जैविक खाद हेतु जुलाई-अगस्त में 250 ग्राम एजोसपाइरिलम को 40 किलोग्राम गोबर की खाद के साथ मिलाकर थालों में डालने से उत्पादन में वृद्धि देखी गई है।

दो-तीन दिन के अंतराल पर करें सिंचाई : बाग लगाने के प्रथम वर्ष सिंचाई 2-3 दिन के अंतराल पर करनी चाहिए और जब फल लगने लगे तो दो-तीन बार सिंचाई करनी जरूरी है।

प्रचलित प्रजातियां : भारत में उगाई जाने वाली आम की किस्मों में दशहरी, लंगड़ा, चौसा, फज़ली, बम्बई ग्रीन, बम्बई, अलफ़ॉन्ज़ो, बैंगन पल्ली, हिम सागर, केशर, किशन भोग, मलगोवा, नीलम, सुर्वन रेखा, वनराज, जरदालू हैं। नई किस्मों में मल्लिका, आम्रपाली, रत्ना, अर्का अरुण, अर्मा पुनीत, अर्का अनमोल तथा दशहरी-51 प्रमुख प्रजातियां हैं। उत्तर भारत में मुख्यत गौरजीत, बाम्बेग्रीन दशहरी, लंगड़ा, चौसा एवं लखनऊ सफेदा प्रजातियां उगाई जाती हैं।

आम के फायदे कच्चे आम में विटामिन सी बहुतायत में होता है यह प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार होता है आम में मेंगीफेरिन नामक यौगिक पाया जाता है जिसमें एंटी कैंसर गुण पाए जाते हैं। इसमें मौजूद पॉलीफेनालिक यौगिकों में एंटीऑक्सीडेंट व एंटीइफ्लेमेट्री गुण होते हैं इसमें मौजूद विटामिन बी 6 पाया जाता है, जो ऑक्सलेट यानी गुर्दे की पथरी को कम करता है इसमें हिपेटोप्रोटेक्टिव गुण होते हैं जो लिवर को स्वस्थ रखने में रखता है विटामिन ए त्वचा को स्वस्थ रखता है और झुर्रियों के शुरुआती लक्षणों को कम कर सकता है आम का जीवनकाल- इसकी आयु 100 वर्ष से भी अधिक होती है भारत में कई वृक्ष दो 200 साल से भी अधिक पुराने हैं 10 से 11 साल में पूरी तरह तैयार हो जाता है आम का पेड़। कुछ किस्मों में तीसरे साल से फल आना शुरू हो जाते हैं तो कुछ भी 5-6 साल में पेड़ की औसत ऊंचाई 15-20 फिट।  

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