काशीधाम से पहले छोटी काशी में अभिभूत होंगे पीएम मोदी, बलरामपुर के रेणुकानाथ मंदिर में करेंगे दर्शन

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 11 दिसंबर को हंसुवाडोल में आ रहे हैं। कार्यक्रम स्थल के सामने पांडवकालीन रेणुकानाथ मंदिर स्थित है। छोटी काशी के नाम से विख्यात बलरामपुर में महादेव के इस मंदिर को शीश नवाकर प्रधानमंत्री काशी धाम को जाएंगे।

By Vikas MishraEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 09:25 PM (IST) Updated:Tue, 07 Dec 2021 05:01 PM (IST)
काशीधाम से पहले छोटी काशी में अभिभूत होंगे पीएम मोदी, बलरामपुर के रेणुकानाथ मंदिर में करेंगे दर्शन
रेणुकानाथ मंदिर के अलौकिक वातावरण के बीच प्रधानमंत्री का कार्यक्रम अद्भुत संयोग से कम नहीं है।

बलरामपुर, [अमित श्रीवास्तव]। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 11 दिसंबर को हंसुवाडोल में आ रहे हैं। कार्यक्रम स्थल के सामने पांडवकालीन रेणुकानाथ मंदिर स्थित है। छोटी काशी के नाम से विख्यात बलरामपुर में महादेव के इस मंदिर को शीश नवाकर प्रधानमंत्री काशी धाम को जाएंगे। वहां 13 दिसंबर को श्रीकाशीनाथ धाम का लोकार्पण करेंगे। रेणुकानाथ मंदिर के अलौकिक वातावरण के बीच प्रधानमंत्री का कार्यक्रम अद्भुत संयोग से कम नहीं है। एक तरफ बुद्ध की तपोस्थली व दूसरी तरफ शक्तिपीठ देवीपाटन के बीच अध्यात्म का भी संगम होगा। 

बलरामपुर को 22 मई वर्ष 1997 को जनपद बनने का गौरव हासिल हुआ। इससे पहले यह गोंडा जनपद का हिस्सा था। अब यह संसदीय क्षेत्र श्रावस्ती में आता है। पहले बलरामपुर संसदीय क्षेत्र था। यहीं से पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार सांसद बनकर दिल्ली की चौखट पर पहुंचे थे। यहीं नहीं, यह भारत रत्न स्वर्गीय नानाजी देशमुख की भी कर्मस्थली रही है। 11 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जहां (हंसुवाडोल में) जनसभा को संबोधित करेंगे, वहां से बौद्ध तपोस्थली श्रावस्ती महज 10 किलोमीटर है। कार्यक्रम स्थल के ठीक सामने गिधरैया गांव में स्थित रेणुकानाथ शिव मंदिर का इंतिहास पांडवों से जुड़ा है।

द्वापर युग में पांडव अज्ञातवास पर थे। जब भीम ने कीचक का वध किया तो कौरवों को पता चला कि पांडवों ने श्रावस्ती के महाराज विराट के यहां शरण ले रखी है। महाभारत में विजय प्राप्ति के लिए श्रीकृष्ण की प्रेरणा पर पांडवों ने यहां शिवलिंग की स्थापना कर मंदिर बनवाया। इसका नाम रणहुआ मंदिर पड़ा। बाद में यह रेणुकानाथ मंदिर के नाम से विख्यात हुआ। वहीं, 35 किलोमीटर दूर 51 शक्तिपीठों में शुमार देवीपाटन मंदिर है। यहां माता सती का वाम स्कंध गिरा था। यहां के सूर्यकुंड का निर्माण महाभारत काल में सूर्यपुत्र कर्ण ने करवाया था।

सर्वविदित है प्रधानमंत्री की आध्यात्मिक आस्था : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यात्म में आस्था सर्वविदित है। पीएम मोदी के पहले यह कल्पना करना भी असंभव था कि भारत के प्रधानमंत्री, अपनी आस्था और आध्यात्मिक यात्रा के लिए मंदिरों के दर्शन के लिए जा सकते हैं। देश के प्रधानमंत्री केदारनाथ की रुद्र गुफा में ध्यान लगा सकते हैं। आस्था के प्रति समर्पित प्रधानमंत्री मोदी ने धर्म की राजनीतिक दुकान चलाने वालों को ये संदेश भी दिया है कि धर्म राजनीति के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण के लिए आधारशिला बन सकता है। प्रधानमंत्री ने मंदिरों के पुनर्निर्माण, धार्मिक पर्यटन पर भी विशेष जोर दिया है। अयोध्या में श्रीराम मंदिर भूमिपूजन, मंदिर निर्माण, अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में काशी विश्वनाथ कारिडोर का निर्माण और केदारनाथ धाम का पुनर्निर्माण इसके कुछ उदाहरण हैं। यह इस बात का भी प्रतीक है की आस्था, आध्यात्मिकता और अर्थव्यवस्था की त्रिवेणी से नए भारत का निर्माण संभव है।

chat bot
आपका साथी