BEd Entrance Exam Result 2021: बीएड प्रवेश परीक्षा टॉपर्स की जुबानी, सफलता की कहानी
अगर आपके हौसले बुलंद हों तो हर राह आसान हो जाती है। राहों के पत्थर भी आपके लिए रास्ते बनाने लगते हैं। बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा में सफलता की इबारत लिखने वाले टॉपर्स छात्रों ने अपनी मंजिल को कैसे आसान किया और किस तरह अपना आत्मविश्वास मजबूत बनाए रखा।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। अगर आपके हौसले बुलंद हों तो हर राह आसान हो जाती है। राहों के पत्थर भी आपके लिए रास्ते बनाने लगते हैं। बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा में सफलता की इबारत लिखने वाले टॉपर्स छात्रों ने अपनी मंजिल को कैसे आसान किया और किस तरह अपना आत्मविश्वास मजबूत बनाए रखा। दैनिक जागरण से टॉपर आशु राणा और भावना मिश्रा ने अपने अनुभव साझा किए। बीएड प्रवेश परीक्षा में प्रदेश में टाप करने वाले लखनऊ के आशु राणा पीसीएस बनना चाहते हैं। इसके लिए वह दो बार परीक्षा भी दे चुके हैं। लेकिन कुछ कमी की वजह से चयन नहीं हो पाया। लिहाजा उन्होंने समय का सदुपयोग करते हुए बीएड प्रवेश परीक्षा दे दी। शहर के बी ब्लॉक इंदिरा नगर के रहने वाले आशु राणा की प्रारंभिक शिक्षा करनैलगंज के एक गांव से हुई।
आशु बताते हैं कि कक्षा 9 से 12वीं तक महानगर के मांट फोर्ट में पढ़ाई की। वह बताते हैं कि नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी पटना से इलेक्ट्रिकल से पढ़ाई करने के बाद कर्नाटक में अवंती लर्निंग सेंटर में गणित के शिक्षक के तौर पर पढ़ा रहा था। फिर नौकरी छोड़ एसएसबी की तैयारी की। लेकिन आखिरी राउंड में चयन नहीं हुआ। दो बार पीसीएस भी दे चुका। वहां भी कुछ कमी रह गई। इसलिए सोचा खुद भी पढूं और दूसरों को भी पढ़ाऊं। इसके लिए बीएड प्रवेश परीक्षा दी। उम्मीद नहीं थी कि टाप करूंगा। पढ़ाई के साथ-साथ पीसीएस की तैयारी भी करता रहूंगा। ताकि एक रास्ता खुला रहे। पापा राम चंद्र राणा उप निरीक्षक पद से सेवानिवृत्त हैं। माता ईशना राणा गृहणी हैं। छोटा भाई अंकित राणा बीटेक कर रहा है।
विषय हो या कहानी की किताबें, पढ़ना पसंद है: संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा में छात्राओं में टापर और ओवरआल 17वीं रैंक लाने वालीं नई बस्ती झांसी की भावना मिश्रा को शुरू से ही पढ़ाना पसंद है। छुट्टियों में मोहल्ले में फ्री ट्यूशन देकर बच्चों को पढ़ाया भी। वह बताती हैं कि सरस्वती बालिका विद्या मंदिर इंटर कालेज से 12वीं किया। फिर बुंदेलखड यूनिवर्सिटी से बीएससी और अब एमएससी केमेस्ट्री से आखिर सेमेस्टर की पढ़ाई कर रही हूं। बीएड प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए एंट्रेंस बुक और यू-ट्यूब की मदद ली। तीन महीने रेगुलर तैयारी की। अब बीएड के बाद शिक्षक भर्ती के लिए पीजीटी, टीजीटी और जो भी परीक्षाएं हैं वह देंगे। भावना के पापा राजेंद्र मिश्र जर्नलिस्ट हैं। माता रमा मिश्रा गृहणी हैं। भावना का कहना है कि छोटे बच्चों को पढ़ाना ज्यादा अच्छा होता है ताकि उन्हें शुरू से ही कान्सेंप्ट क्लीयर किया जा सके।