लखनऊ में मृतक कर्मचारी की पत्नी बन ले लिया भुगतान, नगर निगम का लिपिक निलंबित

एक महिला मृतक सफाई कर्मचारी की फर्जी पत्नी बनकर नौकरी की चाहत के साथ ही नगर निगम के कोष पर नजर लगाए थी। उसका साथ भी नगर निगम के ही कुछ कर्मचारी दे रहे थे और भुगतान से जुड़ा मकसद भी पूरा हो गया लेकिन अब मामला फंस गया है।

By Dharmendra MishraEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 08:43 AM (IST) Updated:Mon, 06 Dec 2021 12:20 PM (IST)
लखनऊ में मृतक कर्मचारी की पत्नी बन ले लिया भुगतान, नगर निगम का लिपिक निलंबित
नगर निगम के मृतक कर्मचारी की पत्नी बनकर पैसा और नौकरी की चाहत का खेल उजागर। नगर निगम मुश्किल में।

लखनऊ, जागरण संवाददाता।  यह उस महिला की कहानी है, जो मृतक सफाई कर्मचारी की फर्जी पत्नी बनकर नौकरी की चाहत के साथ ही नगर निगम के कोष पर नजर लगाए थी। उसका साथ भी नगर निगम के ही कुछ कर्मचारी दे रहे थे और भुगतान से जुड़ा मकसद भी पूरा हो गया, लेकिन आखिरकार हकीकत सामने आई तो मामला संदिग्ध पाया गया।

..बिन फेरे हम.. तेरे की इस कहानी में कई कर्मचारियों पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है और वाल्दा लिपिक हिमांशु श्रीवास्तव को निलंबित कर दिया गया। नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा.एसके रावत से कार्यदायी संस्था जैसा काम वापस ले लिया गया है। कई अन्य पर भी कार्रवाई की तैयारी है।

यह है मामलाः नियमित सफाई कर्मी के रूप में उन्नीस अगस्त 2007 को राजू की नियुक्ति हुई थी। तीस जून 2007 को कार्यभार करने के बाद तीन साल की सेवा में तेरह मार्च 2010 को उसकी मौत हो गई थी। खुद को राजू की पत्नी बताते हुए किसी रेखा नाम की महिला ने पति की जगह नौकरी देने से लेकर भुगतान को लेकर नगर निगम में प्रार्थना पत्र दिया था। यह पत्र भी 27 जनवरी 2020 को दिया गया था। समय से भुगतान न होने रेखा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी और कोर्ट के आदेश का पालन न होने पर आवमानना याचिका दाखिल की थी। अदालत के आदेश के क्रम में नगर निगम के वाल्दा बाबू हिमांशु श्रीवास्तव मृतक राजू के अवशेष देयकों, भविष्य निधि और अर्जित अवकाश का भुगतान करने की रिपोर्ट दी और भुगतान भी हो गया।

ऐसे खुला मामलाः भुगतान की प्रक्रिया के दौरान नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी को पता चला कि रेखा ने मृतक राजू की फर्जी पत्नी बनकर यह खेल खेला है। मृतक आश्रित के तहत नौकरी देने के लिए रेखा ने वर्ष 2013 में आवेदन किया था। इस पर विभागीय जांच में पाया गया कि रेखा ने अपने पति का नाम सुजीत बताया था और इस मामला संदिग्ध होने से उसे नौकरी का लाभ नहीं मिल सका और सभी भुगतानों को भी रोक दिया गया था। सुपरवाइजर समेत अन्य की रिपोर्ट में रेखा के पति का नाम सुजीत बताया गया था।

नगर आयुक्त ने पूरे प्रकरण की जांच के लिए अपर नगर आयुक्त की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच टीम बनाई थी, जिसमे सहायक नगर आयुक्त और मु य नगर लेखा परीक्षक को शामिल किया गया था। टीम ने विभिन्न बिंदुओं पर जांच की और पाया कि वाल्दा लिपिक हिमांशु श्रीवास्तव ने पूर्व में भुगतान पर लगी रोक और अन्य कार्यवाही को छिपाते हुए अर्जित अवकाश और भविष्य निधि का भुगतान कर दिया था। रिपोर्ट के बाद लिपिक को निलंबित कर दिया गया है। जांच टीम को रेखा ने विरोधाभाषी बयान देने से मामला और संदिग्ध होता गया। रेखा द्वारा पेश किए राजू का मृतक प्रमाण पत्र भी जांच टीम को कूटरचित लगा। जांच में पता चला कि रेखा का पति सुजीत है, जो राजू का काम करता था।

एक तथ्य यह भीः कर्मचारी बताते हैं कि पति सुजीत की मौत के बाद रेखा ससुराल से चली गई थी और ससुराल वालों को उसके बारे में कोई पता नहीं था। अब राजू की पत्नी वह कैसे बन गई? यह भी जांच का विषय है, लेकिन वह अपने को राजू की पत्नी साबित नहीं कर पा रही है।

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