जेपी सेंटर से चोरों ने उड़ाई लाखों की बाथरूम फिटिंग, पार्किंग के बेसमेंट से गायब हुआ सामान

ये सामान मार्क जगुआर कंपनी के हैं जिनकी बाजार में कीमत लाखों में है। कई वर्षों से चल रहे काम के कारण ये सामान एक स्टोर में रखा था जिसकी जांच समय-समय पर होती थी। ऐसे में यह सवाल खड़ा होता है कि सामान चोरी कैसे हो गया।

By Rafiya NazEdited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 10:19 AM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 12:38 PM (IST)
जेपी सेंटर से चोरों ने उड़ाई लाखों की बाथरूम फिटिंग, पार्किंग के बेसमेंट से गायब हुआ सामान
लखनऊ के जेपीएनआइसी में 65 पीस शावर व 125 पीस सीपी एंगिल वाल्व गायब।

लखनऊ, जागरण संवाददाता। लखनऊ विकास प्राधिकरण (लविप्रा) द्वारा बनवाया जा रहा जय प्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय केंद्र (जेपीएनआइसी) के बनने से पहले ही सामान चोरी होना शुरू हो गया है। निजी कंपनी के कर्मचारी कपिल नायक ने गोमती नगर थाने में 65 पीस बाथरूम शावर व 125 पीस सीपी एंगिल वाल्व गायब होने का मामला दर्ज कराया है। ये सामान मार्क जगुआर कंपनी के हैं, जिनकी बाजार में कीमत लाखों में है। कई वर्षों से चल रहे काम के कारण ये सामान एक स्टोर में रखा था, जिसकी जांच समय-समय पर होती थी। ऐसे में यह सवाल खड़ा होता है कि सामान चोरी कैसे हो गया।

उत्तर प्रदेश शासन के द्वारा विपिन खंड स्थित जेपीएनआइसी के निर्माण का ठेका मेसर्स शालीमार कॉपर्स प्राइवेट लिमिटेड को 2013 में दिया गया था। शालीमार कॉपर्स प्रा. लि. ने वर्ष 2015 में प्रोजेक्ट का काम मेकेनिकल, इलेक्ट्रिकल एंड प्लंबङ्क्षरग का ठेका मेसर्स गोदरेज एंड बायर्स को दिया था। कंपनी द्वारा मंगाया गया सामान निर्माण स्थल के परिसर में रखा गया था। वहीं, कुछ सामान मल्टी स्टोरी पार्किंग के भूमिगत स्थल के परिसर में स्टोर रूम बनाकर रखा गया था। अब पुलिस यहां तैनात सुरक्षा गार्ड व कार्यरत मजदूरों से पूछताछ करने के साथ ही सीसीटीवी के जरिये आरोपित को पकडऩे की कोशिश कर रही है।

शासन की मंशा पर जेपीएनआइसी का काम 28 फरवरी 2014 को शुरू किया गया था और अक्टूबर 2016 में खत्म होना था, लेकिन वर्ष 2021 तक कोई सुध नहीं ली गई। आज भी काम अधूरा है। गोमती नगर के विपिन खंड में जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय केंद्र का खाका 18.64 एकड़ जमीन पर खींचा गया था। शासन से सिर्फ 847.79 करोड़ रुपये से जेपीएनआइसी बनाने की अनुमति दी थी, लेकिन पूर्व उपाध्यक्ष सत्येंद्र सिंह ने संशोधित डीपीआर के वह काम भी करा दिए, जो शासन ने कराने की अनुमति नहीं थी। करीब सौ करोड़ के काम ऐसे किए गए। अब शासन और लविप्रा के बीच पत्राचार चल रहा है।

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