Blast in Barabanki: बारूद के ढेर पर बाराबंकी, क्योंकि यहां हावी है आतिशबाजों और अधिकारियों का मजबूत गठजोड़

Blast in Barabanki आतिशबाजी का अवैध कारोबार जिले में फल-फूल रहा है। अधिकारियों और आतिशबाजों के मजबूत गठजोड़ के चलते विस्फोट में लोगों की जान जाने के बाद भी इसके अवैध कारोबार पर अंकुश नहीं लगाया जा सका है। आतिशबाजी के कारोबार के लिए सबसे ज्यादा जैदपुर चर्चित है।

By Vikas MishraEdited By: Publish:Fri, 13 Aug 2021 09:32 AM (IST) Updated:Fri, 13 Aug 2021 09:32 AM (IST)
Blast in Barabanki: बारूद के ढेर पर बाराबंकी, क्योंकि यहां हावी है आतिशबाजों और अधिकारियों का मजबूत गठजोड़
वर्ष 2018 में रामसनेहीघाट में पटाखा बनाते समय विस्फोट के बाद आतिशबाजी लाइसेंस निलंबित कर दिए गए थे।

बाराबंकी, जागरण संवाददाता। आतिशबाजी का अवैध कारोबार जिले में फल-फूल रहा है। अधिकारियों और आतिशबाजों के मजबूत गठजोड़ के चलते विस्फोट में लोगों की जान जाने के बाद भी इसके अवैध कारोबार पर अंकुश नहीं लगाया जा सका है। आतिशबाजी के कारोबार के लिए चर्चित जैदपुर ही नहीं जिले के अन्य हिस्सों में भी इसकी गहरी जड़ें हैं। रामनगर में बुधवार को हुए विस्फोट में दो बच्चों के जख्मी होने के बाद पूर्व में हुए विस्फोट की घटनाएं ताजा हो गई हैं। दो वर्ष पहले रामसनेहीघाट के धारूपुर में विस्फोट कांड में विस्फोटक की कई अन्य जिलों आपूर्ति किए जाने की बात सामने आई थी। इससे यदि यह कहा कि जिला बारूद के ढेर पर है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। 

आबादी के बीच चल रहे मौत के कारखानेः आतिशबाजी बनाने में बारूद का इस्तेमाल होता है। इसलिए आबादी से दूर इसके कारखाने बनाने के निर्देश हैं, लेकिन ज्यादातर स्थानों पर घरों से इसका संचालन हो रहा है। रामनगर में दो लाइसेंस धारक हैं। इनका कारखाना भी जंगल में है। सूरतगंज में आतिशबाजी बनाने का एक मात्र लाइसेंस है। मोहम्मदपुर खाला थाना के सूरतगंज कस्बे, बेलहरा कस्बे, मोहम्मदपुर खाला गांव, गुरुबख्शगंज गांव में देसी पटाखे, देसी हथगोले बनाए जाते हैं। महादेवा चौकी के लोधौरा गांव में एक भी लाइसेंसधारक नहीं है, लेकिन कारोबार होता है। कोठी थाना के बक्सावा गांव में एक व्यक्ति का लाइसेंस है, जबकि पांच-छह लोग गोला-पटाखा बनाने का कारोबार करते हैं। सतरिख कस्बे में छह लोग और जाटा बरौली में चार लोग आतिशबाजी बनाने और बेचने का कार्य बिना लाइसेंस करते हैं।

यहां हो चुके हैं हादसे

करीब दस वर्ष पहले सतरिख के पहितिया मुहल्ले में विस्फोट में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। 1995 में जैदपुर के चमरिहा मुहल्ले में हुए विस्फोट में पांच की मौत हुई थी। 2015 में महादेवा के लोधौरा में घर में बारूद का विस्फोट होने से दो लोगों की मौत हो गई थी। वर्ष 2017 में असंद्रा थाने के जरगावां में नफीस घर बिना लाइसेंस के आतिशबाजी बनाते समय विस्फोट हुआ था। नफीस की पत्नी व पुत्र जख्मी हुए थे। 2018 में रामसनेहीघाट के धारूपुर में हसीब घर में हुए विस्फोट में दो की मौत होने के साथ आधा दर्जन घायल हुए थे। इससे पहले हसीब के घर में ही वर्ष 2005 में एक व 2012 में आतिशबाजी बनाते समय विस्फोट में दो लोगों की मौत हुई थी। त्रिवेदीगंज के सोनिकपुर में तीन साल पहले हुए विस्फोट में एक मजदूर की मौत हो गई थी। 

सबसे ज्यादा आठ लाइसेंस जैदपुर मेंः वर्ष 2018 में रामसनेहीघाट के धारूपुर में पटाखा बनाते समय विस्फोट के बाद जिले के सभी आतिशबाजी लाइसेंस निलंबित कर दिए गए थे। जांच पड़ताल के बाद वर्ष 2019 में 22 लाइसेंस का नवीनीकरण किया गया। इसमें 12 लोगों के पास बनाने व बेचने दोनों तथा शेष के पास सिर्फ बेचने का लाइसेंस था। इसके बाद तीन लाइसेंस और बढ़े। संख्या 25 हो गई। इसमें सबसे ज्यादा आठ लाइसेंसी जैदपुर में हैं। चार के पास बेचने व चार के पास बनाने का लाइसेंस है।

आतिशबाजी बनाने व बेचने का लाइसेंस निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार दिया जाता है। बिना लाइसेंस के बनाना व बेचना दोनों अपराध है। अवैध निर्माण की जानकारी मिलने पर कार्रवाई की जाती है। -संदीप कुमार गुप्ता, एडीएम

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