Ayodhya Structure Demolition Case: संपूर्ण अयोध्या कांड में इतिहास बनीं सात तारीखें, सदियों तक भुलाई नहीं जा सकेंगी

Ayodhya Structure Demolition Case 20वीं व 21वीं सदी की इन तारीखों ने सिर्फ रामनगरी ही नहीं बल्कि देश पर भी किसी न किसी रूप में असर डाला और इनकी धमक सत्ता के शीर्ष तक महसूस की गई।

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Thu, 01 Oct 2020 12:43 AM (IST) Updated:Thu, 01 Oct 2020 12:43 AM (IST)
Ayodhya Structure Demolition Case: संपूर्ण अयोध्या कांड में इतिहास बनीं सात तारीखें, सदियों तक भुलाई नहीं जा सकेंगी
Ayodhya Structure Demolition Case: भविष्य में भी सदियों तक भुलाई नहीं जा सकेंगी सात तिथियां।

अयोध्या [नवनीत श्रीवास्तव]। यदि रामचरित मानस में सात सोपान हैं तो करीब पांच सदी पुराने अयोध्या विवाद के संपूर्ण कांड की सात ऐतिहासिक तारीखें। 20वीं व 21वीं सदी की इन तारीखों ने सिर्फ रामनगरी ही नहीं, बल्कि देश पर भी किसी न किसी रूप में असर डाला और इनकी धमक सत्ता के शीर्ष तक महसूस की गई। इनमें तीन 20 वीं सदी में रहीं तो शेष चार 21वीं में। भविष्य में भी इन्हें सदियों तक भुलाया नहीं जा सकेगा।

देश को आजादी मिलने के ठीक दो साल बाद ही अयोध्या में हुई हलचल ने देश भर में कौतूहल पैदा कर दिया। वर्ष 1949 की वह 22/23 दिसंबर की रात थी, जब रामजन्मभूमि पर विवादित ढांचे के केंद्रीय स्थल पर रामलला का प्राकट्य हुआ। हालांकि, रामलला के प्राकट्य के बाद ही विवादित भवन में ताला लगा दिया गया। इसके बाद वर्ष 1986 की एक फरवरी ने फिर से देश में सरगर्मी पैदा की। इस दिन जिला न्यायाधीश ने विवादित स्थल पर हिंदुओं को पूजा का अधिकार दिया। ताला दोबारा खोला गया। हैरानी की बात तो यह भी थी कि सुनवाई के दौरान जब न्यायाधीश ने ताला बंद करने का आदेश मांगा तो प्रशासन ऐसा कोई भी आदेश ही नहीं पेश कर सका था, जिसके आधार पर ताला लगाया गया था। फिर 1992 में छह दिसंबर को जो हुआ, उसने सर्द मौसम में भी ऐसी तपिश पैदा की, जिसकी आंच पूरे देश में महसूस की गई। 

हजारों कारसेवकों ने विवादित ढांचा ढहा दिया। 21वीं सदी में चार तिथियां ऐसी रहीं, जिन्होंने सिर्फ सृजन और नवनिर्माण की राह प्रशस्त की। वर्ष 2010 में 30 सितंबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने भूमि विवाद का फैसला सुनाया, हालांकि फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई। गत वर्ष नौ नवंबर को आए सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले ने अयोध्या भूमि विवाद के सबसे लंबे मुकदमे का सुखद अंत कर दिया। संपूर्ण 70 एकड़ भूमि रामजन्मभूमि परिसर के लिए सौंपने का आदेश दिया। इसी साल की पांच अगस्त की तिथि को विरासत के कैनवास पर सबसे सुंदर तस्वीर बनी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन किया। 30 सितंबर को सीबीआइ कोर्ट ने विवादित ढांचा ध्वंस के सभी आरोपियों को बरी कर दिया। इसके साथ ही अयोध्या कांड भी संपूर्ण हुआ।

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