अयोध्या ढांचा विध्वंस केस : सात श्रेणियों में बंटे हैं विध्वंस कांड के 32 आरोपित, जानें कौन किस श्रेणी में...

अयोध्या विवादित ढांचा विध्वंस प्रकरण से जुड़े मुकदमों की सुनवाई के दौरान लखनऊ और रायबरेली कोर्ट में अलग-अलग तारीखों पर आरोप तय किए गए थे। इस दौरान 21 आरोपितों के नाम मुकदमे से ड्रॉप भी कर दिए गए थे। यानी उनके विरुद्ध आरोप तय नहीं किए गए थे।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Wed, 30 Sep 2020 06:00 AM (IST) Updated:Wed, 30 Sep 2020 07:23 AM (IST)
अयोध्या ढांचा विध्वंस केस : सात श्रेणियों में बंटे हैं विध्वंस कांड के 32 आरोपित, जानें कौन किस श्रेणी में...
अयोध्या ढांचा विध्वंस केस में धाराओं के आधार पर आरोपितों का वर्गीकरण किया गया और सात श्रेणियों में बांटा गया।

लखनऊ [आलोक मिश्र]। अयोध्या में रामलला का भव्य मंदिर बनने का रास्ता तो तय हो चुका है। मगर, विवादित ढांचे के विध्वंस को लेकर चल रहे मुकदमे में फैसले पर अब सभी की निगाहें हैं। इस मुकदमे में धाराओं के आधार पर आरोपितों का वर्गीकरण किया गया और उन्हें सात श्रेणियों में बांटा गया। 

अयोध्या विवादित ढांचा विध्वंस केस में पैरवी कर रहे एक अधिवक्ता बताते हैं कि पूर्व में इस प्रकरण से जुड़े मुकदमों की सुनवाई के दौरान लखनऊ और रायबरेली कोर्ट में अलग-अलग तारीखों पर आरोप तय किए गए थे। इस दरम्यान 21 आरोपितों के नाम मुकदमे से ड्रॉप भी कर दिए गए थे। यानी उनके विरुद्ध आरोप तय नहीं किए गए थे। सीबीआइ ने आठ फरवरी 2003 को रायबरेली कोर्ट में अपनी सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की थी, जिसके बाद रायबरेली कोर्ट में वर्ष 2005 में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियार समेत आठ आरोपितों के विरुद्ध मुकदमा शुरू हुआ था और जुलाई 2005 में उनके विरुद्ध आरोप तय किए गए थे।

अयोध्या विवादित ढांचा विध्वंस केस में चंपत राय समेत 13 ऐसे आरोपित भी थे, जिनके विरुद्ध लखनऊ अथवा रायबरेली किसी कोर्ट में मुकदमा नहीं चल रहा था। सीबीआइ ने वर्ष 2011 में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। अप्रैल 2017 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर दिन प्रतिदिन सुनवाई का सिलसिला शुरू हुआ था। इसी बीच मई 2017 में विनय कटियार समेत शेष रह गए 13 आरोपितों के विरुद्ध भी आरोप तय किए गए थे।

नहीं साबित हो सका आपराधिक षड्यंत्र : अयोध्या विवादित ढांचा विध्वंस केस में आरोपितों पर पूर्वनियोजित साजिश के तहत विवादित ढांचे को गिराने का संगीन आरोप भी लगा था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर वर्ष 2017 में मुकदमे में आपराधिक षड्यंत्र की धारा 120-बी की बढ़ोतरी की गई थी। हालांकि सीबीआइ इसके साक्ष्य नहीं जुटा सकी। विध्वंस कांड में आरोपितों की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता अभिषेक रंजन बताते हैं कि जिरह के दौरान सीबीआइ के मुख्य विवेचक ने खुद स्वीकार किया था कि प्रकरण में आपराधिक षड्यंत्र के साक्ष्य नहीं मिले हैं।

सात श्रेणी में हैं 32 आरोपित पहली श्रेणी : लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियार, उमा भारती व साध्वी ऋतंभरा। दूसरी श्रेणी : सतीश प्रधान, राम विलास वेदांती, चंपत राय बंसल, नृत्य गोपाल दास व धर्मदास। तीसरी श्रेणी : रामचंद्र खत्री, सुधीर कक्कड़, अमरनाथ गोयल, संतोष दुबे, लल्लू सिंह, कमलेश त्रिपाठी, विजय बहादुर सिंह, आचार्य धर्मेंद्र देव, प्रकाश शर्मा, जयभान सिंह पवैया, धर्मेंद्र सिंह गुर्जर, विनय कुमार राय, रामजी गुप्ता, गांधी यादव व नवीन भाई शुक्ला। चौथी श्रेणी : पवन कुमार पांडेय, बृज भूषण शरण सिंह व ओम प्रकाश पांडेय। पांचवीं श्रेणी : महाराज स्वामी साक्षी उर्फ स्वामी सच्चिदा नंद साक्षी। छठीं श्रेणी : रवींद्र नाथ श्रीवास्तव। सातवीं श्रेणी : कल्याण सिंह।

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