Ayodhya Demolition Case: कोर्ट की सुरक्षा में तैनात किए गए एक हजार पुलिसकर्मी
Ayodhya Controversial Structure Demolition Case सादे वर्दी में पुलिस अधिकारी लगाए गए हैं। बम एस्क्वाड दस्ता के अलावा खुफिया एजेंसियों को अलर्ट किया गया है। कोर्ट के निर्देश पर कुछ दूरी पर एक मीडिया गैलरी बनाई गई है।
लखनऊ, जेएनएन। Ayodhya Controversial Structure Demolition Case: सीबीआइ कोर्ट बुधवार को अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस मामले में फैसला सुनाएगी। इसके मद्देनजर राजधानी पुलिस ने कोर्ट परिसर में सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद कर दी गई है। पुलिस आयुक्त सुजीत पांडेय के मुताबिक कुल एक हजार पुलिसकर्मियों की ड्यूटी कोर्ट परिसर व उसके आसपास लगाई गई है। सादे वर्दी में पुलिस अधिकारी लगाए गए हैं। बम एस्क्वाड दस्ता के अलावा खुफिया एजेंसियों को अलर्ट किया गया है। कोर्ट के निर्देश पर कुछ दूरी पर एक मीडिया गैलरी बनाई गई है। पुलिसकर्मियों को कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन करने के निर्देश दिए गए हैं। स्वास्थ भवन चौराहे के पास से ट्रैफिक को डायवर्ट किया गया है। सुबह 11 बजे इस मामले में फैसला सुनाए जाने की सूचना है। सीबीआई कोर्ट में जज, वादियों, प्रतिवादी और उनके वकीलों के अलावा केवल कोर्ट स्टाफ जा सकता है।
बता दें कि अयोध्या में विवादित ढांचा ध्वंस मामले में अदालती फैसले का इंतजार 28 साल बाद बुधवार को खत्म होगा। सीबीआइ इस माह की शुरूआत से ही लगातार इस मामले में फैसला लिखा रही है और 30 सितंबर को इसे सुनाया जाएगा। कोर्ट ने फैसला सुनाते समय आरोपितों को भी उपस्थित रहने के निर्देश दिए हैं। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास अस्वस्थता के चलते बाबरी ध्वंस पर फैसले के दौरान स्पेशल कोर्ट में उपस्थित नहीं रहेंगे। इसमें केस संख्या 198 में भाजपा मार्गदर्शक मंडल में शामिल लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती एवं अन्य आरोपी हैं। इन पर भड़काऊ भाषण देने का आरोप है। इस केस की लगातार सुनवाई के दौरान 351 गवाह और 600 दस्तावेज पेश किए गए। सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने जज ने लगातार सुनवाई के बाद एक सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था और दो सितंबर से फैसला लिखना शुरू किया था।
अयोध्या में 6 दिसम्बर 1992 को घटी इस घटना के बाद कई आरोपित केस का फैसला सुनने के लिए जीवित नहीं हैं। इसके आरोपपत्र में शामिल 49 आरोपितों में से 17 की मौत हो चुकी है। केस में आरोपितों और सीबीआइ ने कई बार हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अंतत: सुप्रीम कोर्ट नेे 19 अप्रैल 2017 को विचारण अदालत के लिए मुकदमा पूरा करने के लिए समय सीमा तय की और अब फैसला होने की नौबत आई है।