पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रोहिंग्या के मददगारों के भी मिले सुराग, एटीएस ने तेज की छानबीन
रोहिंग्या की पहचान बदलने के लिए फर्जी दस्तावेज किनकी मदद से बनवाए जा रहे थे और इनके पासपोर्ट किसके जरिये बनवाए गए ऐसे कई बिंदुओं पर पड़ताल के निर्देश दिए गए हैं। उनकी काल डिटेल का ब्योरा भी खंगाला जा रहा है।
लखनऊ, [राज्य ब्यूरो]। रोहिंग्या की तेजी से जम रहीं जड़ों को उखाडऩे के लिए एटीएस की टीमों ने मेरठ समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ अन्य शहरों में छानबीन तेज की है। मेरठ से रोहिंग्या हाफिज शफीक उर्फ शबीउल्लाह व उसके तीन अन्य साथियों की गिरफ्तारी के बाद मानव व सोना तस्करी के जो तथ्य सामने आए हैं, उसे लेकर एटीएस के साथ जिला पुलिस को भी सक्रिय किया गया है। खासकर रोहिंग्या के पासपोर्ट किन दस्तावेजों व किन लोगों की मदद से बने, इसकी पड़ताल भी शुरू की गई है। सूत्रों का कहना है कि एटीएस को कुछ मददगारों के बारे में अहम सुराग भी मिले हैं।
रोहिंग्या महिलाओं व सोने की तस्करी किए जाने का तथ्य सामने आने के बाद एटीएस के साथ अन्य जांच एजेंसियों ने भी अपनी सक्रियता बढ़ाई है। एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बताया कि शुक्रवार को गिरफ्तार रोहिंग्या हाफिज शफीक, अजीजुर्रहमान उर्फ अजीज, मुफीज व मु.इस्माइल को जेल भेज दिया गया है। चारों को पुलिस कस्टडी में लिए जाने की तैयारी की जा रही है। रोहिंग्या हाफिज के नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों के बारे में छानबीन कराई जा रही है।
खासकर रोहिंग्या की पहचान बदलने के लिए फर्जी दस्तावेज किनकी मदद से बनवाए जा रहे थे और इनके पासपोर्ट किसके जरिये बनवाए गए, ऐसे कई बिंदुओं पर पड़ताल के निर्देश दिए गए हैं। बताया गया कि हाफिज व उसके साथियों के मोबाइल फोन से भी कई अहम जानकारियां व नंबर हाथ लगे हैं। उनकी काल डिटेल का ब्योरा भी खंगाला जा रहा है। यह भी पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि बीते कुछ माह में कितनी रोहिंग्या महिलाओं को बांग्लादेश की सीमा से अवैध घुसपैठ कर प्रदेश में लाया गया था।