Chaitra Navratri: अष्टमी का खास योग देगा विशेष लाभ, जानिए पूजन का समय

मां भगवती की उपासना का पर्व नवरात्र चल रहा है। मां की आराधना के साथ श्रद्धालु सप्तशती का पाठ कर रहे हैं। 20 अप्रैल दिन मंगलवार को विशेष योग और आराधना से श्रद्धालुओं को पुण्य की प्राप्ति होगी। मंगलवार को सूर्योदय के पहले ही अष्टमी तिथि लग जाएगी।

By Rafiya NazEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 09:40 AM (IST) Updated:Sun, 18 Apr 2021 09:40 AM (IST)
Chaitra Navratri: अष्टमी का खास योग देगा विशेष लाभ, जानिए पूजन का समय
20 अप्रैल को सूर्योदय से पहले ही शुरू हो जाएगा अष्टमी का योग।

लखनऊ, जेएनएन। मां भगवती की उपासना का पर्व नवरात्र चल रहा है। मां की आराधना के साथ श्रद्धालु सप्तशती का पाठ कर रहे हैं। 20 अप्रैल दिन मंगलवार को विशेष योग और आराधना से श्रद्धालुओं को पुण्य की प्राप्ति होगी। आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि मंगलवार को सूर्योदय के पहले ही अष्टमी तिथि लग जाएगी। इस दिन शाम 07:08 बजे तक अष्टमी का मान रहेगा। तक रहेगी । सकाम और निष्काम दोनों प्रकार के श्रद्धालुओं के लिए यह अष्टमी खास हाेगी। शाम 06:30 से 07:40 बजे के मध्य विशेष पुण्य के लिए पूजन किया जा सकता है।

स्वास्थ्य- - गुड़हल के गहरे लाल रंग के सात पुष्प मां को अर्पित करना चाहिए। 

कन्या का विवाह- कन्या अपने हाथ से सुहाग का सारा सामान ( सिंदूर छोड़कर ) मां को अर्पित करेँ ।

पति की दीर्घायु के लिए- सिंदूर सहित सुहाग का सारा सामान लाल चुनरी में चढ़ाएं। 

नौकरी व व्यापार - पान में दो लौंग , एक सुपारी , एक इलाइची और कपूर मिलाकर मां को चढ़ाएं।

ज्ञान के लिए - पान के सात पत्ते लेकर हर पत्ते पर हल्के लाल या गुलाबी रंग के गुलाब के फूल की सात- सात पंखुरियां अर्पित करें। 

धन के लिए- एक पानी वाला नारियल लें और उसपर कलावा लपेटें और स्वास्तिक बनाएं फिर मां को अर्पित करें। नौ दिन पूरे होने के बाद दशवें दिन नारियल को फोड़कर प्रसाद के रूप में वितरण करें।

आनलाइन प्रवचन में श्रीराम जन्म का उल्लास: 

चिंमय मिशन की ओर से नवरात्र में चल रहे आनलाइन प्रवचन में शनिवार को चिंमय मिशन के प्रमुख स्वामी स्वरूपानंद महाराज ने कहा कि ‘‘भगवान को तो मक्खन के समान कोमल हृदय प्रिय हैं। एक बालक का हृदय ऐसा होता है कि सरलता से उसे सबसे और सभी को उससे प्रेम हो जाता है, इसीलिए बाल लीला आकर्षित करती है। राम की बाल लीला तो बहुत संक्षेप में दिखायी गई है जबकि कृष्ण की बाल लीला भगवान वेद व्यास ने विस्तार से गाई है। श्रीराम ने मां कौशल्या को अपने मुख में विराट का दर्शन कराया। शिवजी और कागभुशुण्डी जी के तो भगवान बाल रूप में भगवान उनके इष्ट थे। कागभुशुण्डी जी तो भगवान के हाथ से कभी-कभी रोटी मक्खन छीन कर खा लेते थे। हृदय बालक की तरह पवित्र हो जाए इसीलिए बाल लीलाओं के वर्णन होते हैं।

प्रवक्ता विनीत ने बताया कि 21 तक शाम 7:15 से नौ बजे तक आनलाइन प्रवचन चलेगा।

कोरोना मुक्ति आरती: 

हनुमान सेतु के पास प्राचीन नीब करौरी आश्रम मंदिर घाट पर शनिवार को कोरोना मुक्ति के लिए आरती हुई। मंदिर के पुजारी व संयोजक आशीष पांडेय ने बताया कि सुरक्षा कारणों से मंदिर के कुछ सदस्यों की मौजूदगी में आरती की गई। सुरक्षा के चलते मंदिर के घंटे को कपड़े से बंद कर दिया गया है। हर मंगलवार व शनिवार को वर्षों से यहां आरती होती है।

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