ऑनलाइन मंच पर बच्चों की कला कमाल, मनोरंजन के साथ दे रहे सकारात्मक संदेश

लखनऊ में ऑनलाइन मंच पर बच्चों की कमाल की कला खूब पसंद भी की जा रही। आइए बताते हैं शहर के कुछ बच्चों के बारे में जो कोरोना काल में अपनी प्रतिभा को संवारने के साथ दूसरों का खूब मनोरंजन भी कर रहे।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Mon, 26 Oct 2020 01:17 PM (IST) Updated:Mon, 26 Oct 2020 01:17 PM (IST)
ऑनलाइन मंच पर बच्चों की कला कमाल, मनोरंजन के साथ दे रहे सकारात्मक संदेश
लखनऊ में ऑनलाइन मंच पर बच्चों की कला कमाल, मनोरंजन के साथ दे रहे सकारात्मक संदेश।

लखनऊ, जेएनएन। हर बच्चे में कोई न कोई प्रतिभा जरूर होती है, जरूरत बस उसे निखारने की है। कोरोना काल में स्कूल बंद हुए तो बच्चों को अपनी प्रतिभा निखारने का भरपूर समय भी मिला। ऑनलाइन मंच पर इनकी कमाल की कला खूब पसंद भी की जा रही। आइए बताते हैं, शहर के कुछ बच्चों के बारे में जो कोरोना काल में अपनी प्रतिभा को संवारने के साथ दूसरों का खूब मनोरंजन भी कर रहे। साथ ही अपने सृजन से सकारात्मक संदेश भी दे रहे।

वागीशा की अनूठी वर्णमाला

क से कबूतर, क से कलम और क से ही अवधी गीत कौने करणवा शहर भागे...क्यों, है ना ये अनूठी वर्णमाला। वलोकगीतों के जरिए क से ज्ञ तक वर्णमाला सिखाने का खास तरीका खोजा गया है। वर्णमाला के हिसाब से लोकगीतों की लड़ियां सभी को खूब पसंद आ रहीं। शहर की नौ वर्षीय बाल नृत्यांगना वागीशा पंत ने ये रोचक प्रयास किया है। वो यू ट्यूब और फेसबुक के जरिए बच्चों को लोकगीतों से जोड़ने की कोशिश कर रहीं। लोकगीतों पर लोक नृत्य प्रस्तुति भी रहती है। लॉकडाउन के बाद से ही वागीशा ऑनलाइन मंच पर सक्रिय हैं और अपने प्रयासों से लोगों का मनोरंजन करने के साथ ही लोककला संवर्धन में भी प्रयासरत हैं। वागीशा के इस प्रयास में भाई दृषान का भी खूब सहयोग रहता है। वागीशा इससे पहले पांच घंटे 11 मिनट लगातार नृत्य का रिकॉर्ड भी बना चुकी हैं।

आराध्य प्रवीण की प्रवीणता

वरिष्ठ तबला गुरु पंडित रविनाथ मिश्रा के नाती बाल तबला वादक आराध्य प्रवीण की प्रवीणता को ऑनलाइन मंच पर हर कोई सराह रहा। नाना-नाती की जोड़ी के अलावा अाराध्य की एकल प्रस्तुतियों को भी खूब वाहवाही मिलती है। तीन वर्ष की आयु से ही नाना से तबला प्रशिक्षण ले रहे आराध्य लखनऊ के अलावा बनारस घरानों की खास बंदिशे भी सीख चुके हैं। बाल कलाकार के तबला वादन में बोलों की सुस्पष्टता, दाएं-बाएं का संतुलन, लय की समझ, विशेष तैयारी, जोरदार बाेल पढ़ंत, मंच प्रस्तुतिकरण की सूझ-बूझ आदि खास है। लॉकडाउन से लेकर अब तक आराध्य प्रवीण कई प्रस्तुतियां दे चुके हैं। हाल ही में इन्होंने राष्ट्रीय कथक संस्थान द्वारा आयोजित शक्तिरूपा कार्यक्रम में भी अपनी कला का जादू बिखेरा।बनारस घराने की विशेषता प्रस्तार, जिसमें ठेके की बढ़त व उसमें विभिन्न प्रकार की लयकारियां, मुखड़ा-मोहरा आदि का प्रदर्शन आराध्य की विशेषता है। लखनऊ घराने का कायदा, विभिन्न प्रकार के टुकड़े जैसे-ताल तिहाई का, फरमाइशी, चक्रदार, बेदम, कमाली, सम-विषम, अनागत का टुकड़ा खूब पसंद किया जा रहा। वहीं, रेला व तबले के दायं-बाएं के सवाल-जवाब और जुगलबंदी प्रस्तुति को भी खूब सराहना मिल रही।

प्रणव का यूट्यूब चैनल

कक्षा पांच के छात्र प्रणव ने लॉकडाउन की बोरियत को दूर करने के लिए अपना यू ट्यूब चैनल बना लिया। संगीत का शौक तो हमेशा से था, पर सामान्य दिनों में स्कूल और पढ़ाई के बीच वक्त नहीं मिल पाता था। काेरोना काल में मिले समय का प्रयोग प्रणव ने अपनी प्रतिभा को निखारने में किया। प्रणण की-बोर्ड तो प्ले करते ही थे, साथ ही इस दौरान इन्होंने अन्य वाद्ययंत्रों से भी दोस्ती कर ली। रोज एक नई प्रस्तुति का वीडियो अपने यू ट्यूब चैनल पर अपलाेड करते हैं। प्रणव कहते हैं, स्कूल बंद हुआ और घर पर रहकर मैं बोर हुआ तो म्यूजिक मेरा दोस्त बन गया। अब ज्यादा से ज्यादा समय इसी के साथ बीतता है।

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