कोरोना से माेर्चा लेने के लिए दो दिन में तैयार होगी सेना, डॉक्टरों को दिए गए कई अहम निर्देश

कोरोना संक्रमण की पहली और दूसरी लहर में बड़ी संख्या में लोगों की जान बचाने वाले सैन्य डॉक्टर एक बार फिर से सतर्क हो गए हैं। देश भर में कोरोना के हालात पर नजर रखी जा रही है। हालांकि आपात स्थिति में दो दिन में तैयारी पूरी कर ली जाएगी।

By Vikas MishraEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 01:04 PM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 01:04 PM (IST)
कोरोना से माेर्चा लेने के लिए दो दिन में तैयार होगी सेना, डॉक्टरों को दिए गए कई अहम निर्देश
सेना ने कोरोना से निपटने के लिए पिछली बार छावनी के बेस अस्पताल को कोविड अस्पताल बनाया था।

लखनऊ, जागरण संवाददाताः कोरोना संक्रमण की पहली और दूसरी लहर में बड़ी संख्या में लोगों की जान बचाने वाले सैन्य डॉक्टर एक बार फिर से सतर्क हो गए हैं। देश भर में कोरोना के हालात पर नजर रखी जा रही है। सेना ने आपात स्थिति के दौरान दो दिन की नोटिस में अपने अस्पतालों को दोबारा शुरू करने की तैयारी भी कर ली है। इसे लेकर नौ और 12 सितंबर को सेना के डॉक्टरों की बैठक भी हुई थी। सेना ने कोरोना से निपटने के लिए पिछली बार छावनी के बेस अस्पताल को कोविड अस्पताल बनाया था। यहां सेना के जवानों, पूर्व सैनिकों व उनके आश्रितों के साथ ही आम नागरिकों का उपचार किया गया था।

इसके अलावा अवध शिल्प ग्राम में डीआरडीओ ने जो आक्सीजन व वैंटीलेटर वाला अस्थायी अस्पताल बनाया था। उसकी जिम्मेदारी भी सेना के डॉक्टरों, मिलिट्री नर्सिंग सर्विस अधिकारियों और पैरा मेडिकल स्टाफ के पास थी। इस अस्पताल के लिए देश भर से सेना के डॉक्टरों को तैनात किया गया था। कोरोना की दूसरी लहर के नियंत्रण के आने के बाद अस्पताल को बंद नहीं किया गया। उसके वेंटीलेटर सहित अन्य उपकरणों को स्टैंड बाई मोड पर रखकर सेना के डॉक्टरों, एमएनएस व पैरामेडिकल स्टाफ को वापस उनकी बेस यूनिटों में भेज दिया गया। अब जबकि कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जतायी जा रही है। देश में कोरोना की वर्तमान स्थिति को लेकर सेना ने नौ और 12 सितंबर को महत्वपूर्ण बैठक बुलायी थी। बैठक में सभी सैन्य चिकित्सकों, एमएनएस अधिकारियों व पैरामेडिकल स्टाफ को अलर्ट किया गया है। सेना के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक सेना हर स्थिति से निपटने को तैयार है। इसीलिए आपात स्थिति में अपनी तैयारियों का आंकलन किया जा रहा है। जिससे जरूरत पड़ने पर समय गंवाए बिना ही अस्पतालों में स्थिति को संभाला जा सके।

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