सशस्त्र बल अधिकरण ने दिया आदेश, शादी को आधार बनाकर नहीं रोकी जा सकती बेटे की पेंशन
पिता की मृत्यु के बाद पुत्र को 25 वर्ष की आयु तक और पुत्री को अविवाहित रहने तक फैमिली पेंशन देने की व्यवस्था है। ऐसे में पुत्र यदि 25 वर्ष की आयु से पहले ही शादी कर लेता है तब उसे फैमिली पेंशन से वंचित नहीं किया जा सकता है।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। पिता की मृत्यु के बाद पुत्र को उसकी 25 वर्ष की आयु तक और पुत्री को अविवाहित रहने तक फैमिली पेंशन देने की व्यवस्था है। ऐसे में पुत्र यदि 25 वर्ष की आयु से पहले ही शादी कर लेता है, तब भी उसे फैमिली पेंशन से वंचित नहीं किया जा सकता है। सशस्त्र बल अधिकरण की लखनऊ बेंच ने एक मामले की सुनवाई करते हुए शुक्रवार को यह आदेश दिया। वादी रमेश कुमार पाल अपने पिता की मृत्यु के बाद फैमिली पेंशन ले रहे थे। रमेश कुमार पाल ने 20 मई 2002 को विवाह कर लिया। इस पर 21 मई 2002 को रक्षा मंत्रालय द्वारा उनकी फैमिली पेंशन बंद कर दी गई। अपने आदेश में मंत्रालय ने कहा कि 20 मई 2002 को रमेश कुमार पाल ने विवाह कर लिया है और विवाह के बाद फैमिली पेंशन देने का प्रावधान नहीं है।
वादी ने वर्ष 2002 से कई बार रक्षा मंत्रालय से पत्राचार किया। उन्होंने सशस्त्र बल अधिकरण में वाद दायर किया। अधिवक्ता विजय कुमार पांडेय ने भारत सरकार की तीन फरवरी 1998 की पालिसी और आर्मी पेंशन रेगुलेशन 2008 के प्रावधानों पर अपना पक्ष रखा। कहा कि आर्मी पेंशन रेगुलेशन 1961 के पैरा-219 में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि पुत्री के मामले में तो शादी करने के बाद पेंशन रोकी जा सकती है, लेकिन पुत्र के मामले में शादी का उल्लेख ही नहीं किया गया है। सिर्फ पच्चीस साल की उम्र का ही जिक्र है। इससे स्पष्ट है कि पुत्र की फैमिली पेंशन शादी करने के बावजूद सरकार 25 साल की उम्र तक बंद नहीं कर सकती। पीठ के न्यायिक सदस्य सेवानिवृत्त न्यायधीश उमेशचंद्र श्रीवास्तव और प्रशासनिक सदस्य अभय रघुनाथ कार्वे की खंडपीठ ने कहा कि वादी की फैमिली पेंशन शादी होने के बावजूद रोकी नहीं जा सकती।