Gang war in Jail: सुलतानपुर जेल से भी गैंग चलाता था अंशु, शिकायत मिलने पर भेजा गया था चित्रकूट
प्रशासनिक आधार पर सुलतानपुर जेल भेजे गए अंशु करीब साल भर निरुद्ध रहने के दौरान यहां से भी गैंग संचालित करना शुरू कर दिया था। वह जब भी पेशी पर गैर जनपद जाता तो अवांछनीय सामान भी लाता था।
सुलतानपुर, जेएनएन। जिला जेल चित्रकूट में गैंगवार के दौरान पुलिस के एनकाउंटर में मारा गया बंदी अंशु दीक्षित का लंबा आपराधिक इतिहास रहा है। प्रतापगढ़ से सुलतानपुर जेल आने के बाद यहां से आपराधिक गतिविधियां संचालित करने लगा था। जब उस पर शिकंजा कसने की कोशिश हुई तो कारागार के अफसरों ने उच्च अधिकारियों से शिकायत कर दी और डेढ़ साल पहले शासन ने उसे चित्रकूट स्थानांतरित कर दिया था। बता दें कि शुक्रवार को जिला जेल चित्रकूट में गैंगवार हो गया। कैदियों के दो गुट आपस में भिड़ गए। वर्चस्व की इस भिड़ंत में दोनों तरफ से कई राउंड फायरिंग भी हुई है। जिसमें दो लोगों की मौत हो गई है। दर्जनों राउंड गोलियां चलीं, जिसमें अंशु दीक्षित नामक बंदी ने फायरिंग कर मेराजुद्दीन और मुकीम उर्फ काला को मार डाला। मुकीम काला पश्चिम उत्तर प्रदेश का बड़ा बदमाश था। इसके बाद भारी पुलिस बल ने जेल के अंदर ही अंशु दीक्षित का एनकाउंटर कर दिया। वह भी पुलिस एनकांउटर में मारा गया।
बताया जाता है कि सीतापुर जिले का निवासी अंशु दीक्षित गोरखपुर में पकड़े जाने के बाद लखनऊ जेल में रखा गया, जहां उसके साथी आने-जाने लगे थे। फिर उसे प्रतापगढ़ जेल भेज दिया गया। वहां भी उसकी गतिविधियां जारी रही। सूत्र के अनुसार प्रशासनिक आधार पर सुलतानपुर जेल भेजे गए अंशु करीब साल भर निरुद्ध रहने के दौरान यहां से भी गैंग संचालित करना शुरू कर दिया था। वह जब भी पेशी पर गैर जनपद जाता तो अवांछनीय सामान भी लाता था। उस पर जो जेल अफसर शिकंजा कसने की कोशिश करता था। उसी पर अंशु आंखे तरेरने लगता था।
सीतापुर व अन्य जिलों से भी शिकायते मिलने लगी थी कि अमहट जेल में बंदी के दौरान अंशु दीक्षित फिरौती के फोन करवाने लगा था। उससे स्थानीय बदमाशों का भी संपर्क बन गया और हरकते बढ़ने लगी थी। तब जेल के अफसरों ने उसके जेल बदलने के लिए कारागार निदेशक के माध्यम से शिकायत भेजी थी। प्रशासनिक आधार पर ट्रांसफर किये जाने का आदेश मिलते ही आठ दिसंबर 2019 को अंशु यहां से चित्रकूट जेल ले जाकर दाखिल कर दिया गया था।