बहराइच में मिट्टी खोदाई में निकली प्राचीन मूर्ति, अद्भुत चित्रकारी व शिल्प कला से गुप्तकालीन होने का अनुमान

बहराइच में बुधवार को मिट्टी खोदाई के दौरान प्राचीन मूर्ति निकली। आश्चर्यचकित कर देने वाली मूर्ति अद्भुत गुप्तकालीन मूर्तिकला का नमूना लग रही है। पत्थर कीयह मूर्ति ढाई फिट ऊंची व डेढ़ फिट चौड़ी है। मूर्ति को महसी तहसील के उपकोषागार में रखी गई है।

By Rafiya NazEdited By: Publish:Wed, 09 Jun 2021 05:21 PM (IST) Updated:Thu, 10 Jun 2021 08:05 AM (IST)
बहराइच में मिट्टी खोदाई में निकली प्राचीन मूर्ति, अद्भुत चित्रकारी व शिल्प कला से गुप्तकालीन होने का अनुमान
बहराइच के भदवानी ग्राम पंचायत के भीखाशाह मजार के पास खोदाई में एक प्राचीन मूर्ति निकली।

बहराइच, जेएनएन। थाना क्षेत्र के भदवानी ग्राम पंचायत के भीखाशाह मजार के निकट बुधवार को मिट्टी खोदाई के दौरान प्राचीन मूर्ति निकली। आश्चर्यचकित कर देने वाली मूर्ति अद्भुत गुप्तकालीन मूर्तिकला का नमूना लग रही है। पत्थर कीयह मूर्ति ढाई फिट ऊंची व डेढ़ फिट चौड़ी है। मूर्ति को महसी तहसील के उपकोषागार में रखी गई है। 

भीखाशाह मजार के बगल गांव के बड़कन्ने का खेत है। सुबह वह अपने खेत से मिट्टी खोदवा रहे थे। खोदाई के दौरान खेत से पत्थर की प्राचीन देवी प्रतिमा निकली। उस पर की गई चित्रकारी समृद्ध भारतीय शिल्प कला की गवाह लग रही है। मूर्ति मिलने की खबर क्षेत्र में फैल गई। कुछ ही देर में आसपास के गांवों के लोग बड़ी संख्या में एकत्र हो गए। सभी अपने हिसाब से मूर्ति के संबंध में कयास लगाने लगे। कुछ ग्रामीण मूर्ति को पाषाणकालीन बताने लगे तो कुछ का अनुमान है कि मूर्ति पांडवकालीन है।

पुराने पत्थर पर घोड़े पर सवार किसी देवी की मूर्ति बताई जा रही है। कुछ लोग मूर्ति को जैन संप्रदाय से जुड़ी बता रहे हैं। ग्राम प्रधान प्रतिनिधि मैनकुमार सिंह ने बताया कि कुछ ही क्षण में मूर्ति आस्था की केंद्र बन गई है। मौके पर जुटी भीड़ में कुछ ग्रामीणों ने मूर्ति पर चढ़ावा भी शुरू कर दिया।

सूचना मिलते ही थानाध्यक्ष मनोज कुमार राय, दारोगा सुभाषचंद्र यादव एवं अन्य पुलिस कर्मियों के साथ मौके पर पहुंच गए। पुलिस मूर्ति थाने लाने के प्रयास में जुटी, लेकिन ग्रामीणों ने मूर्ति को नहीं ले जाने दिया। पुरातत्व विभाग से स्थलीय जांच की मांग की। महसी के एसडीएम एसएन त्रिपाठी ने बताया कि पुरातत्व विभाग को जानकारी दी गई है। जल्द ही पुरातत्व विभाग की टीम मौके पर पहुंच रही है। तहसीलदार राजेश कुमार वर्मा को भी मौके पर भेजा जा रहा है। माना जा रहा है कि यह मूर्ति दसवीं शताब्दी की हो सकती है।

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