महाराजा सुहेलदेव के किले पर गर्माया माहौल, अंबेडकरनगर प्रशासन ने प्रवेश पर लगा दी रोक
Maharaja Suheldev Fort इसे 11वीं सदी में विदेशी आक्रांता महमूद गजनवी के सेनापति सैय्यद सलार मसूद गाजी की बलि लेने वाले महाराजा सुहेलदेव का किला बताया जाता है। यहां से करीब 200 मीटर की दूरी पर उनके महल के भी अवशेष हैं। अवध गजेटियर में इसका जिक्र भी है।
अंबेडकरनगर, [रामानुज मिश्र]। Maharaja Suheldev Fort: अपनी वीरता के लिए मशहूर महाराजा सुहेलदेव के सुरहुरपुर स्थित किले को लेकर जंग छिड़ गई है। अवध गजेटियर में पेज नंबर 386 पर उल्लिखित सुहेलदेव के इस किले की जमीन पर वर्तमान में करीब दर्जनभर मजारें हैं। मुस्लिम समुदाय इसे पीर शाहनूर की मजार बताता है, तो सुहेलदेव के वंशज होने का दावा करने वाले राजभर मजार हटाकर किले के पुनर्निर्माण की मांग कर रहे हैं। हाल में यहां खोदाई के प्रयास के बाद तनाव पैदा होते ही प्रशासन ने बोर्ड लगवाकर पुरातत्व विभाग की जांच रिपोर्ट आने तक किसी भी व्यक्ति के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी है।
अयोध्या-वाराणसी रोड पर मालीपुर क्षेत्र में सुरहुरपुर गांव के पास सड़क के दोनों ओर करीब 12 बीघे में फैला खंडहर है। इसे 11वीं सदी में विदेशी आक्रांता महमूद गजनवी के सेनापति सैय्यद सलार मसूद गाजी की बलि लेने वाले महाराजा सुहेलदेव का किला बताया जाता है। यहां से करीब 200 मीटर की दूरी पर उनके महल के भी अवशेष हैं। अवध गजेटियर में इसका जिक्र भी है। पुस्तक में पेज नंबर 386 पर राजभरों के मुखिया के रूप में सोहनदल का उल्लेख है। किवदंती है कि सोहनदल ही महाराजा सुहेलदेव के नाना थे। अपने ननिहाल में पैदा हुए सुहेलदेव के शब्दभेदी बाण चलाने की कला भी यहीं से सीखने की कथा प्रचलित है। बाद में राजा बनने पर सुहेलदेव ने इसी क्षेत्र को राजधानी भी बनाया।
जयंती समारोह मनाने पर शुरू हुआ विवाद : वसंत पंचमी के दिन ही महाराजा सुहेलदेव की जयंती मनाई जाती है। बीती 19 फरवरी को सुहेलदेव सेवा समिति के सदस्य अशोक राजभर के नेतृत्व में कुछ लोग जेसीबी से किले की जमीन को समतल कर कार्यक्रम करने का प्रयास कर रहे थे, तभी गाजी फाउंडेशन से जुड़े मुराद अली आदि ने इसकी शिकायत एसडीएम और पुलिस से की। प्रशासन ने कार्य रोकवाते हुए मामले की जांच पुरातत्व विभाग को सौंप किसी भी व्यक्ति के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी।
मजार को लेकर है विवाद : जर्जर किले के सबसे ऊपरी हिस्से पर बाबा शाहनूर की मजार है। हाल के दिनों में यहां कुछ और मजारें स्थापित कर दी गईं। कुल मिलाकर इस समय 12 मजारें हैं। सुहेलदेव सेवा समिति के सदस्य अशोक राजभर का कहना है कि किले के अंदर महाराजा सुहेलदेव के जमाने का भारशिव नागेश्वर मंदिर है। पूर्व में विदेशी आक्रांताओं ने मंदिर को तहस-नहस कर दिया और बाद में यहां मजार स्थापित कर दी गई। उनका संगठन वर्षों से पुरातत्व विभाग से इसकी जांच कराकर मंदिर के पुनरुद्धार की मांग करता रहा है। वहीं मजार की देखरेख कर रहे सैय्यद मासूम रजा कैफी ने बताया कि यह करीब छह सौ साल पुरानी मजार है। 1982 में सर्वे एक्ट के तहत यह सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की संपत्ति दर्ज है।
'दोनों पक्षों में विवाद सामने आने के बाद यहां सभी का प्रवेश वर्जित कर दिया गया है। पुरातत्व विभाग को जांच के लिए लिखा गया है। रिपोर्ट आने पर ही स्पष्ट रूप से कुछ कहा जा सकेगा।' -भरतलाल सरोज, एसडीएम जलालपुर (अंबेडकरनगर)