बाराबंकी में ब्लैक फंगस से महिला की मौत, निजी अस्पताल पर केजीएमयू में बेड की गलत जानकारी देने का आरोप

बाराबंकी में परिवारजन ने सफेदाबाद स्थित हिन्द अस्पताल के चिकित्सकों पर केजीएमयू में बेड उपलब्ध होने गलत जानकारी देकर गुमराह करने का आरोप लगाया गया है। जबकि वहां बेड के लिए16 घंटे से अधिक समय तक इंतजार करना पड़ा।

By Rafiya NazEdited By: Publish:Sat, 05 Jun 2021 06:01 PM (IST) Updated:Sat, 05 Jun 2021 06:01 PM (IST)
बाराबंकी में ब्लैक फंगस से महिला की मौत, निजी अस्पताल पर केजीएमयू में बेड की गलत जानकारी देने का आरोप
बाराबंकी में ब्लैक फंगस से महिला की मौत पर निजी अस्पताल पर बेड की गलत जानकारी देने का लगाया आरोप।

बाराबंकी, जेएनएन। ब्लैक फंगस से जिले में पहली मौत से अस्पतालों की असंवेदनशीलता एक बार फिर सामने आई है। मृतका के परिवारजन ने सफेदाबाद स्थित हिन्द अस्पताल के चिकित्सकों पर केजीएमयू में बेड उपलब्ध होने गलत जानकारी देकर गुमराह करने का आरोप लगाया गया है। जबकि, वहां बेड के लिए16 घंटे से अधिक समय तक इंतजार करना पड़ा और इलाज के अभाव में महिला की मौत हो गई। उधर, जिले में ब्लैक फंगस से पहली मौत के बाद प्रशासन अलर्ट हो गया है और गाइड लाइन जारी की है। अस्पताल में लापरवाही का यह कोई पहला मामला नहीं है। 30 मई को सिरौलीगौसपुर के सौ शैय्या अस्पताल में इलाज न मिलने पर मासूम की मौत हो चुकी है, जोकि चर्चा में है।

यह है मामला: शहर के धनोखर चौराहा निवासी मृतका कुसुम वैश्य के पुत्र विवेक वैश्य ने बताया कि उनकी मां बीती 20 अप्रैल को कोविड संक्रमित हो गई थी। हालत बिगड़ने पर उन्हें सफेदाबाद स्थित हिंद अस्पताल में 29 अप्रैल को भर्ती कराया था। यहां पर चिकित्सकों ने जांच के बाद ब्लैक फंगस होना बताया था। तीन जून को उनकी मां को लखनऊ के केजीएमयू में बेड उपलब्ध होने की बात कहकर रेफर कर दिया गया, जबकि वहां पर 16 घंटे से अधिक समय तक उनकी मां को बेड नहीं मिला। वह बिना उपचार कभी स्ट्रेचर तो कभी कार पर पड़ी रहीं। विवेक ने आरोप लगाया कि एक व्यक्ति को जब उन्होंने 30 हजार रुपये दिए तब जाकर उन्हें वेंटीलेटर मिला, लेकिन बेड मिलने के एक घंटे के भीतर मौत हो गई। उनका कहना है कि यदि तत्काल उनकी मां को समय पर बेड मिलकर उपचार शुरू हो जाता तो उनकी जान बच सकती थी।

यह जारी की गई गाइड लाइन: सीएमओ डा. बीकेएस चौहान ने बताया कि ब्लैक फंगस के अगर किसी व्यक्ति में पुष्टि होती है तो इसके लिए अलग से नोडल अधिकारी एसीएमओ डा. डीके श्रीवास्तव काे बनाया गया है। यहां पर ब्लैक फंगस के मरीज का इलाज नहीं है। लेकिन, जिला चिकित्सालय में नेत्र की ओपीडी खोली गई है। अगर ऐसा कोई केस आता है तो उसे यहां से प्राथमिक उपचार के बाद उसे लखनऊ केजीएमयू या पीजीआइ के लिए भेजवाया जाता है। फिलहाल चिकित्सा अधिकारियों को अलर्ट किया गया है।

पहली मौत, पर केस दूसरा: जिले में ब्लैक फंगस से भले ही यह पहली मौत है, पर एक और मरीज मिल चुका है। उसका पीजीआइ में इलाज चल रहा है। फतेहपुर

क्षेत्र के भगौलीतीर्थ के रहने वाले सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य सुरेंद्र सिंह दूसरे ब्लैक फंगस के मरीज के रूप में चिन्हित हुए थे। उनकी लखनऊ में 17 मई को आई जांच रिपोर्ट में ब्लैक फंगस के लक्षण मिले थे, वह पीजीआई में भर्ती हैं। परिवारजन के मुताबिक सोमवार को उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल सकती है।

केजीएमयू सीएमएस डॉ संदीप तिवारी ने बताया कि इस प्रकरण में परिवारजन की ओर से कोई शिकायत नहीं की गई है। समाचार पत्रों में प्रकाशित खबर के माध्यम से प्रकरण संज्ञान में आया है। इस पर ट्रॉमा में जमा रेकॉर्ड से नम्बर निकालकर परिवारजन से बात की गई है। परिवारजन ने दो-दिन बाद आने की बात कही है। उनके आने पर कर्मचारियों की परेड करा दी जा जाएगी। यदि वेंटीलेटर दिलाने के नाम पर उगाही में किसी कर्मचारी की संलिप्तता पाई जाएगी तो इसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।

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