प्रधानमंत्री किसी वर्ग या धर्म विशेष के नहीं बल्कि पूरे देश के, अमर्यादित फोटो शेयर करने पर इलाहाबाद हाई कोर्ट की टिप्पणी
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी या संवैधानिक पद पर बैठे किसी भी व्यक्ति को किसी वर्ग या धर्म में नहीं बांधा जा सकता है क्योंकि वह देश के प्रत्येक नागरिक का प्रतिनिधित्व करते हैं।
लखनऊ, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी या संवैधानिक पद पर बैठे किसी भी व्यक्ति को किसी वर्ग या धर्म में नहीं बांधा जा सकता है, क्योंकि वह देश के प्रत्येक नागरिक का प्रतिनिधित्व करते हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि प्रत्येक नागरिक का आवश्यक कर्तव्य है कि वह देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व सभी संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों का सम्मान करे।
यह टिप्पणी जस्टिस मो. फैज आलम खान की एकल पीठ ने पीएम नरेन्द्र मोदी के खिलाफ वाट्सएप ग्रुप पर अमर्यादित फोटो शेयर करने के आरोप में एक माह से भी अधिक समय से जेल में निरुद्ध व्यक्ति की जमानत अर्जी को मंजूर करते हुए की। अभियुक्त मो. आफाक कुरैशी ने कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी थी। बचाव पक्ष में कहा गया कि किसी अन्य ने उसे फंसाने की नीयत से उक्त मैसेज शेयर किया था। साथ ही कहा था कि संबंधित वाट्सएप ग्रुप स्थानीय थानाध्यक्ष ने बनाया था जिस पर इस तरह की पोस्ट शेयर करने की हिम्मत नहीं हो सकती थी।
लखनऊ की अमीनाबाद पुलिस ने मो. आफाक कुरैशी को 18 सितंबर 2021 को वाट्सएप ग्रुप पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की फोटो को आपत्तिजनक रूप से एडिट कर शेयर करने के आरोप में एफआईआर दर्ज करने के बाद गिरफ्तार किया था। अमर्यादित फोटो शेयर करने के आरोप में एक माह से भी अधिक समय से जेल में निरुद्ध व्यक्ति की जमानत अर्जी को मंजूर कर ली गई है।