फसल में रोग लगने से पहले चल जाएगा पता, एकेटीयू के वैज्ञानिकों ने सरसों और उड़द पर किया शोध
लखनऊ में एकेटीयू के वैज्ञानिकों ने सरसों और उड़द की फसल पर शोध किया जिससे उसमें रोग को शुरुआत में ही पकड़ लिया गया। ठीक उसी तरह जैसे कैंसर को पहली स्टेज पर पकड़कर नियंत्रित करना आसान होता है।
लखनऊ, [पुलक त्रिपाठी]। रोगों के कारण बर्बाद होने वाली दलहन और तिलहन की फसलों को समय रहते बचाया जा सकेगा। आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लॄनग प्रोसेस और फोटो स्कैनिंग के आधार पर हुए शोध में डा. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) ने बड़ी सफलता हासिल की है। एकेटीयू के वैज्ञानिकों ने सरसों और उड़द की फसल पर शोध किया, जिससे उसमें रोग को शुरुआत में ही पकड़ लिया गया। ठीक उसी तरह जैसे कैंसर को पहली स्टेज पर पकड़कर नियंत्रित करना आसान होता है। इसमें फसल में लगने जा रहे रोग का अब तक लगने वाले रोगों से फोटो स्क्रीनिंग व एआई तकनीक से मिलान कराया गया। इससे दो से तीन घंटे में ही फसल में लग चुके या शुरू हो चुके रोग की सटीक पहचान हो जाती है। शोध में विज्ञानियों ने सामान्य कैमरे का प्रयोग किया है। दावा है कि ड्रोन से स्क्रीनिंग कर अधिक क्षेत्रफल की फसल के बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है। इसके प्रयोग से किसानों को हर साल होने वाले भारी नुकसान से बचाया जा सकता है।
क्या है प्रक्रिया
पौधों में संक्रमण का पता लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने आणविक और सीरोलॉजिकल एसेज का उपयोग किया। इसके तहत फसलों में लगने वाले रोगों का डेटा बैंक तैयार किया गया। इसके बाद तैयार हो रही फसल की फोटो स्क्रीनिंग कराई गई। आॢटफिशियल इंटेलिजेंस व मशीन लॄनग प्रोसेस के जरिये मौजूदा फसल की स्थिति से डेटा बैंक का मिलान किया गया। इस दौरान विभिन्न वायरल, फंगल और जीवाणु संक्रमण के लक्षण फसल की पत्तियों पर पीले और भूरे रंग के धब्बे के पाए गए, जिनसे रोग की प्रारंभिक अवस्था में ही पहचान हो गई।
क्या है आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस
यह कंप्यूटर विज्ञान की वह शाखा है, जो कंप्यूटर को इंसानों की तरह व्यवहार करने की धारणा पर आधारित है। यह मशीनों की सोचने, समझने, सीखने, समस्या हल करने और निर्णय लेने जैसी संज्ञानात्मक कार्यों को करने की क्षमता को सामने लाता है।
चरणबद्ध प्रक्रिया समझें
'कृषि क्षेत्र के लिए अब तक की यह हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है। यह रिसर्च अभी मैनुअल विधि पर आधारित है, लेकिन ड्रोन कैमरे का प्रयोग करने पर महज कुछ घंटों में बड़े क्षेत्रफल की फसल के बारे में जानकारी की जा सकती है।' -प्रोफेसर एमके दत्ता, डीन, रिसर्च विज्ञानी, डा. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय