Ahoi Ashtami: अहोई अष्टमी 28 को, चांद-तारे को अर्घ्य देंगी व्रती सुहागिने; जानिए क्‍या है इसकी कथा

Ahoi Ashtami Vrat 2021 Date कार्तिक मास की अष्टमी 28 अक्टूबर को है। इसी दिन को अहोई अष्टमी के रूप में मनाते है। आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि इस दिन स्त्रियां अपनी संतान सुख के लिए उपवास करती है और बिना अन्न-जल ग्रहण किए व्रत रखती हैं।

By Rafiya NazEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 10:49 AM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 02:44 PM (IST)
Ahoi Ashtami: अहोई अष्टमी 28 को, चांद-तारे को अर्घ्य देंगी व्रती सुहागिने; जानिए क्‍या है इसकी कथा
Ahoi Ashtami Vrat 2021: अहोई अष्टमी में संतान सुख की कामना करेंगी महिलाएं।

लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। पति की दीर्घायु के पर्व करवा चौथ के बाद अब संतान सुख की कामना के पर्व अहोई अष्टमी को लेकर महिलाओं ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। ईश्वरीय शक्ति के स्वरूपों की अलग-अलग तरीके याद कर मन को सुकून होने के साथ ही सुख को लेकर एक आशा की नई किरण का भी संचार होता है।

कार्तिक मास की अष्टमी 28 अक्टूबर को है। इसी दिन को अहोई अष्टमी के रूप में मनाते है। इस वर्ष अहोई अष्टमी आठ नवंबर को है। आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि इस दिन स्त्रियां अपनी संतान सुख के लिए उपवास करती है और बिना अन्न-जल ग्रहण किए निर्जला व्रत रखती हैं। शाम को कुछ व्रती महिलाएं तारों और चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत को पूर्ण करती हैं। इस दिन सायंकाल दीवार पर आठ कोणों वाली एक पुतली बनाई जाती है और पुतली के पास ही स्याऊ माता और उनके बच्चे बनाए जाते हैं। ये व्रत संतान सुख और संतान की कामना के लिए किया जाता है। शाम को व्रत कथा का पाठ किया जाता है।

आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि इस दिन माता पार्वती के अहोई स्वरूप की अराधना की जाती है। नि:संतान महिलाएं बच्चे की कामना में अहोई अष्टमी का व्रत रखती हैं। इस दिन शाम 5:26 बजे से 6:43 बजे तक पूजन का मुहूर्त है। इस दिन चंद्रोदय समय रात्रि 11:18 बजे होगा। कुछ व्रती चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करती हैं।

क्या है कथा: आचार्य अरुण कुमार मिश्रा ने बताया कि दीपावली के पहले एक साहूकार की पत्नी घर पुताई के लिए मिट्टी की खोदाई कर रही थी कि अचानक जमीन में मांद में रह रहे सेही के बच्चे को कुदाल लग गई और मर गया। महिला दु:खी तो हुई , लेकिन उसकी सभी सात संतानों का निधन हो गया। विलाप सुन पड़ोसी महिला ने अनजाने में पाप होने की बात कही। उसने कहा कि कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मां भगवती पार्वती की शरण लेकर सेही ओर सेही के बच्चों का चित्र बनाकर उनकी पूजा कर क्षमा मांगों। ऐसा करने में पर उसके सभी पुत्र जीवित हो गए। बस उसी दिन से संतान की व्याधियों को दूर करने के लिए यह व्रत रखा जाने लगा।

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