लखनऊ नगर निगम सदन में पास प्रस्‍तावों का अधिकारी कर देते हैं बाईपास, पूरे नहीं होते एजेंडे

नगर निगम सदन के ये निर्णय कागजों में ही रह जाते हैं। खर्च वाले प्रस्तावों के निर्णयों को अधिकारी तत्काल लागू कर देते है लेकिन महापौर और नगर निगम सदन के अन्य कई निर्णय गर्त में ही दिखते हैं।

By Rafiya NazEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 08:59 AM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 01:23 PM (IST)
लखनऊ नगर निगम सदन में पास प्रस्‍तावों का अधिकारी कर देते हैं बाईपास, पूरे नहीं होते एजेंडे
नगर निगम सदन के निर्णयों पर गंभीर नहीं दिखते हैं अफसर।

लखनऊ [अजय श्रीवास्तव]। 'पास-पास और पास... सभी पार्षद हाथ उठाकर किस भी मामले को पास कर देते हैं लेकिन, आपको जानकर आश्चर्य होगा कि नगर निगम सदन के ये निर्णय कागजों में ही रह जाते हैं। खर्च वाले प्रस्तावों के निर्णयों को अधिकारी तत्काल लागू कर देते है, लेकिन महापौर और नगर निगम सदन के अन्य कई निर्णय गर्त में ही दिखते हैं। यह कोई पहला मामला नहीं है, कई साल से नगर निगम में ऐसा ही हो रहा है। रविवार को हुए सदन में ऐसे कई मामले सामने आए, जब अधिकारियों की मनमानी और सदन के निर्णयों का पालन करने में लापरवाही दिखाई दी। पूर्व में सदन द्वारा लिए गए निर्णयों की पुष्टि का समय आया तो अधिकारी जवाब देने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। यह तो कुछ उदाहरण हैं लेकिन एजेंडे को देखा जाए तो तमाम निर्णयों का पालन कराने में अधिकारी गंभीर नहीं दिखे। जरा देखिए इन निर्णयों का हाल ( सदन 20 अक्टूबर 2020)

भैंसाकुंड में बच्चों के शव को दफन करने का मुद्दा पार्षद दिलीप श्रीवास्तव ने उठाया था। उनका कहना था कि जगह कम होने से बच्चों के शवों को एक दूसरे के ऊपर दफन किया जाता है। अगर सिंचाई विभाग से बात कर ली जाए तो जमीन मिलने से बच्चों के श्मशानघाट का विस्तार हो सकता है। महापौर संयुक्ता भाटिया ने भी सदन की अध्यक्ष के रूप में कहा था कि सदन के निर्णयानुसार शासन को पत्र भेज दिया जाए।

रविवार को जब यह मुद्दा सदन में उठा तो अपर नगर आयुक्त अमित कुमार कोई जवाब देने की स्थिति में नहीं थे। यानी साल भर बाद भी नगर निगम ने कोई पत्र सिंचाई विभाग को नहीं भेजा। आखिर महापौर को कहना पड़ा कि यह तो गलत बात है। इस पर नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी ने हर हाल में तत्काल पत्र भेजने का आदेश दिया।

पार्षद ताराचंद्र रावत के सवाल पर तो कई बार सदन में निर्णय लिया गया लेकिन हर बार की तरह वह एजेंडे से बाहर नहीं आ पाया। 19 सितंबर 2019 पार्षद ने भूहर से होते हुए आनंद विहार तक जो नाला जाता है, उस पर सिद्धार्थ पब्लिक स्कूल का कब्जा है। बीस मार्च 2020 को तहसीलदार रत्नाकर मिश्रा ने सदन में जवाब दिया कि नगर निगम की बिना अनुमति के नाले के ऊपर पुलिया बना दी गई है। पार्षद ने कहा कि आप लीपापोती कर रहे हैं। मामला यह नहीं है, उसने अवैध कब्जा कर रखा है। तहसीलदार अवैध कब्जा करने वाले स्कूल के पक्ष में खड़े दिखे और कहा कि अवैध कब्जा हटाएंगे तो कोई दुर्घटना हो सकती है। तब सपा पार्षद दल के नेता सैयद यावर हुसैन ने कहा था कि अगर नाले पर बनी बिल्डिंग ढह गई तो किसी बड़ी दुर्घटना होगी। महापौर ने एक जांच कमेटी बनाने का निर्देश दिया और कहा कि अगर अवैध कब्जा है तो उसे गिरा दिया जाए लेकिन तहसीलदार ने नगर निगम के सदन के निर्णयों को नहीं माना और कतिपय कारणों से स्कूल का अवैध कब्जा बरकरार है। रविवार को यह मुद्दा सदन में आया लेकिन तहसीलदार सदन में जवाब देने के लिए मौजूद नहीं थे।

राजाजीपुरम में एक सड़क निर्माण का दो बार भुगतान का मामला पार्षद राजेश मालवीय ने उठाया था। 29 जनवरी 2020 की कार्यवाही में संकल्प संख्या 77 में यह जिक्र है कि इस मामले की तीनों पार्षद दल के नेता और पार्षद संतोष राय की अध्यक्षता में कमेटी बनेगी। कमेटी में अपर नगर आयुक्त अमित कुमार और मुख्य अभियंता भी थे। पिछले सदन में भी यह मामला उठा और कल भी पार्षद संतोष राय ने यह मुद्दा उठाया और कहा कि यह सदन के निर्णयों का अपमान है कि पूरी कमेटी की जानकारी के ही जांच रिपोर्ट पूरी कर मामले को रफा-दफा कर दिया गया।

पार्षदों को मानदेय दिए जाने का मुद्दा पार्षद नागेंद्र सिंह चौहान ने उठाया था। तब सदन ने महापौर समेत सदन ने शासन को पत्र लिखने का निर्णय लिया था लेकिन साल भर बाद भी शासन को पत्र नहीं भेजा गया।

इंदिरानगर के दिवंगत पार्षद (कोरोना से मौत) वीरेंद्र जसवानी के नाम से सड़क का नामकरण हुआ था लेकिन आज तक बोर्ड नहीं लग सका।

महापौर संयुक्ता भाटिया ने कहा कि यह चिंता का विषय है कि नगर निगम सदन में हुए निर्णयों का पालन संबंधित अधिकारी नहीं कर रहे हैं। आगे से इसे गंभीरता से लिया जाएगा और कड़ी कार्रवाई होगीÓ

नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी ने कहा कि रविवार को हुए सदन से यह जानकारी मिली है कि पूर्व में हुए निर्णयों का पालन नहीं हो रहा है। इसके लिए सख्त निर्देश दिए गए हैं। सदन के निर्णयों का पालन करने के लिए समीक्षा बैठक की जाएगी, जिससे सदन की गरिमा बनी रहे

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