लखनऊ : पूरा बिल न चुकाने पर अस्पताल ने आठ घंटे तक रोके रखा शव, परिवारजन बोले-मौत के बाद भी ICU में लेटाए रखा

लखनऊ के इंदिरा नगर स्थित सीएनएस अस्पताल का मामला। परिवारजनों ने अस्पताल पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाकर किया हंगामा। पुलिस के हस्तक्षेप के बाद शव परिवारजनों के हवाले कराया गया। अस्पताल प्रबंधन का आरोप रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आ जाने के बाद परिवारजन स्वयं मरीज को छोड़कर गए थे।

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Tue, 20 Oct 2020 11:00 PM (IST) Updated:Wed, 21 Oct 2020 07:09 AM (IST)
लखनऊ : पूरा बिल न चुकाने पर अस्पताल ने आठ घंटे तक रोके रखा शव, परिवारजन बोले-मौत के बाद भी ICU में लेटाए रखा
लखनऊ के इंदिरा नगर स्थित सीएनएस अस्पताल का मामला।

लखनऊ, जेएनएन। राजधानी के इंदिरा नगर स्थित सीएनएस अस्पताल पर बिल चुकता नहीं होने पर एक मरीज के शव को आठ घंटे तक रोके रखने का आरोप है। तीमारदारों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाकर बिल देने से इन्कार कर दिया। बाद में पुलिस के हस्तक्षेप के बाद शव परिवारजनों के हवाले कराया गया। अस्पताल प्रबंधन का आरोप है कि रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आ जाने के बाद परिवारजन स्वयं मरीज को छोड़कर चले गए थे। 

मृतक के बेटे आयुष का आरोप है कि मौत बाद भी अस्पताल ने बिल बढ़ाने के लिए आठ घंटे तक शव को जिंदा बताकर आइसीयू में लेटाए रखा। किसी को मिलने तक नहीं दिया गया। कोरोना की गलत जांच रिपोर्ट भी देने का आरोप लगाते हुए सीएम पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई है। 

दरअसल, रायबरेली निवासी 60 वर्षीय अभय श्रीवास्तव को गिरने से सिर पर चोट लग जाने पर 28 सिंतबर को केजीएमयू लाया गया था। वहां पर भर्ती नहीं हो पाने पर निजी एंबुलेंस चालक ने उन्हें इंदिरा नगर के निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया। मरीज को कोमा में होने से आइसीयू में रखा गया था। सोमवार की रात अस्पताल प्रशासन ने मरीज का नमूना लेकर कोरोना जांच के लिए निजी केंद्र भेजा। कुछ ही देर बाद मरीज की मौत हो गई। आरोप है कि इसके बाद भी किसी तीमारदार को आइसीयू में नहीं जाने दिया। मंगलवार सुबह करीब 11 बजे डॉक्टरों ने मरीज की मौत होने की सूचना दी। साथ ही बकाया बिल भुगतान करने के बाद ही शव देने की बात कही। सीएमओ डॉ संजय भटनागर ने कहा कि मामला संज्ञान में नहीं है। 

क्या कहते हैं अस्पताल के संचालक ? 

इंदिरा नगर सीएनएस अस्पताल के संचालक डॉ अशोक निराला के मुताबिक, कोरोना मरीज के शव को भला कौन रोके रखना चाहेगा? परिवारजनों का आरोप गलत है। रैपिड टेस्ट में जब मरीज की रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो तीमारदार स्वयं मरीज को छोड़कर चले गए थे। वह करीब 20 दिनों से हमारे यहां भर्ती था। जब कोई शव को लेने नहीं आया तो हम ने पुलिस को बुलवाकर बगैर पूरा भुगतान लिए शव को एंबुलेंस से भिजवा दिया। 

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