यूपी में डेढ़ साल बाद फिर प्रभावी हो सकता व्यापारी लाइसेंस का नियम, यहां पढ़ें पूरी डिटेल

तीन कृषि कानूनों से भले ही किसान नाखुश बताए जा रहे हैं लेकिन उत्तर प्रदेश में मंडी के बाहर कृषि उपज खरीदने वालों को बड़ी राहत रही है। वे आसानी से कृषि उपज खरीदकर मनचाहे स्थानों पर बेचते रहे हैं।

By Vikas MishraEdited By: Publish:Sat, 20 Nov 2021 10:01 AM (IST) Updated:Sat, 20 Nov 2021 10:01 AM (IST)
यूपी में डेढ़ साल बाद फिर प्रभावी हो सकता व्यापारी लाइसेंस का नियम, यहां पढ़ें पूरी डिटेल
करीब डेढ़ साल में कृषि उत्पादन मंडी समिति की आय लगभग सत्तर प्रतिशत घट गई।

लखनऊ, राज्य ब्यूरो। तीन कृषि कानूनों से भले ही किसान नाखुश बताए जा रहे हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में मंडी के बाहर कृषि उपज खरीदने वालों को बड़ी राहत रही है। वे आसानी से कृषि उपज खरीदकर मनचाहे स्थानों पर बेचते रहे हैं। उन्हें न लाइसेंस बनवाना पड़ता था और न ही मंडी के अफसर रोकते या टोकते रहे हैं। डेढ़ साल बाद कृषि कानून हटते ही व्यापारी लाइसेंस का नियम बहाल हो सकता है। इससे सरकार का राजस्व तो बढ़ सकता है, लेकिन कृषि उपज खरीदने वालों को फिर शुल्क देकर प्रपत्र आदि भरने पड़ेंगे।

प्रदेश के छोटे-बड़े कस्बों व नगरों से लेकर जिला व शहर मुख्यालयों की अन्न बाजारें (गल्ला मंडी) कृषि उत्पादन मंडी समिति के नियंत्रण में रहती रही हैं। वहां भले ही मंडी समिति की ओर से संसाधन नहीं दिए गए हैं लेकिन, कृषि उपज खरीदने के लिए व्यापारी को लाइसेंस लेने के लिए जेब ढीली करनी पड़ती थी। इसके बाद भी रोक-टोक जारी थी। पांच जून 2020 को तीन कृषि कानून लागू होने से वहां कृषि उपज खरीदने वालों को व्यापारी लाइसेंस नहीं लेना पड़ रहा था। प्रदेश में इसका असर जुलाई से दिखना शुरू हुआ। 

व्यापारियों को मंडी के बाहर कृषि उपज खरीदने की छूट थी, हर कोई कहीं से भी खरीदकर मनचाहे स्थानों पर बेच रहा था। हालत यह हो गई कि मंडी के दुकानदारों ने भी शुल्क से बचने के लिए मंडी से बाहर ही व्यवसाय करना शुरू कर दिया। इसीलिए अपर मुख्य सचिव कृषि डा. देवेश चतुर्वेदी को आदेश जारी करना पड़ा कि कृषि उपज का थोक व्यवसाय मंडी के बाहर नहीं होगा, साथ ही उन्होंने मंडी शुल्क भी दो प्रतिशत से घटाकर एक प्रतिशत कर दिया। इसके बाद भी मंडी समिति अपने नाम के मुताबिक सिर्फ ढाई सौ मंडियों (जिनका अपना मंडी परिसर है) में सिमटकर रह गई थी।

करीब डेढ़ साल में कृषि उत्पादन मंडी समिति की आय लगभग सत्तर प्रतिशत घट गई। मंडी समिति अपनी ही 251 मंडियों को दुरुस्त करने में जुटी रही, नियम व सुविधाएं बढ़ाई गईं, ताकि व्यापारी मंडी में आए। इसी बीच गांवों में 1600 एग्रीकल्चर मार्केटिंग हब (एएमएच) बनकर तैयार थे, मंडी समिति ने आय बढ़ाने के लिए उन्हें उपमंडी स्थल घोषित करने का प्रस्ताव भेजा, उनमें से 771 को उपमंडी स्थल घोषित किया जा चुका हे। अब तीनों कृषि कानून संसद के जरिए वापस होने हैं, कानून वापस होते पर मंडी समिति में फिर रौनक लौटने के कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि, इस पर निर्णय राज्य सरकार को लेना है।

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