After Ayodhya Verdict : अधिग्रहण की आहट से राम जन्मभूमि के इर्द-गिर्द रहने वालों के खड़े होने लगे कान
Ayodhya में रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण का ताना-बाना बुना जाने लगा है। 33 एकड़ और भूमि की जरूरत बताई जा रही है ताकि सौ एकड़ में भव्य राममंदिर बन सके।
अयोध्या [रघुवरशरण]। रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के लिए 33 एकड़ भूमि अधिग्रहण की आहट से उस क्षेत्र के लोगों के कान खड़े होने लगे हैं, जो रामजन्मभूमि परिसर के इर्द-गिर्द के रहने वाले हैं। यह परिसर पहले से ही 67.77 एकड़ का है।
सूत्रों के अनुसार फैसला आने के बाद ही केंद्र सरकार के स्तर से शासकीय न्यास के गठन की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इसी के साथ ही रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण का ताना-बाना बुना जाने लगा है। इसी क्रम में और 33 एकड़ भूमि की जरूरत और बताई जा रही है, ताकि रामजन्मभूमि पर बनने वाला मंदिर सौ एकड़ से अधिक में हो। इन तैयारियों के बीच परिसर के इर्द-गिर्द रहने वाले लोग सकते में हैं।
सोनू सिंह की दुकान के सामने से अयोध्या-फैजाबाद मुख्य मार्ग गुजरता है और ठीक उत्तर अधिगृहीत परिसर तथा परिसर का मार्ग है। अधिगृहण विस्तार की सूरत में जिन लोगों की जमीन लिए जाने का अनुमान है, उनमें सोनू सिंह जैसे लोग पहले होंगे। सोनू को रामजन्मभूमि मुक्ति की अपार खुशी है पर निकट भविष्य में वे अपनी दुकान छोड़ने की कल्पना से ही सहम जाते हैं। हालांकि अगले पल संभल कर कहते हैं कि अधिग्रहण तब मंजूर होगा, जब लोगों को समुचित मुआवजा के साथ उनका रोजगार और पुनर्वास सुनिश्चित कराया जाए।
थोड़ा आगे बढ़ने पर मुहल्ला पांजी टोला निवासी हीरालाल कसौधन से भेंट होती है। वह संभावित अधिग्रहण के जिक्र और घर-दुकान छूट जाने की आशंका से हतप्रभ होते हैं। यद्यपि वह भी चाहते हैं कि रामलला का भव्यतम मंदिर बने। हीरालाल के मुताबिक भव्यतम मंदिर के लिए अधिग्रहण यदि अपरिहार्य हो तो मुआवजे के साथ सरकार को नौकरी भी देनी होगी। रामजन्मभूमि परिसर से लगे जिस क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण की संभावना है, उस कजियाना मुहल्ले में अपने घर के सामने बैठी सुमित्रा देवी कहती हैं, रामजी का भव्य मंदिर बनना चाहिए पर यह मकान तो मैंने हाल ही में बनवाया है और यदि इसे छोड़ना पड़ा तो बहुत तकलीफ होगी।
प्राचीन मंदिरों को छोड़कर भी सुलभ हो सकती है अपेक्षित भूमि
अयोध्या नगर निगम के जिस रामकोट वार्ड में रामजन्मभूमि स्थित है, उस वार्ड के पार्षद रमेशदास के अनुसार मंदिर के लिए 33 एकड़ और भूमि की उपलब्धता असंभव नहीं है पर इस कोशिश में रामजन्मभूमि से लगे उन मंदिरों को कायम रखने का ध्यान भी रखना होगा, जो प्राचीन-पौराणिक महत्व के हैं। ऐसे मंदिरों को छोड़कर भी आसपास के अहिराना, कजियाना, पांजी टोला आदि मुहल्लों से अपेक्षित भूमि सुलभ हो सकती है और दशकों से पुलिस की रोका-टोकी के शिकार इस क्षेत्र के लोग समुचित मुआवजा पाकर किसी उचित जगह पर खुशी-खुशी नए सिरे से अपना आशियाना बना सकते हैं।
राममंदिर के साथ अयोध्या भी होगी भव्यतम
विधायक वेदप्रकाश गुप्त कहते हैं, यह अवसर अयोध्या के महा भाग्योदय का है। भव्यतम राममंदिर के साथ अयोध्या भी भव्यतम होगी पर किसी को घबराने की जरूरत नहीं है। सारी कोशिश रामलला और अयोध्या के लोगों के लिए है। यदि जरूरत पड़ने पर भूमि अधिग्रहण हुआ, तो उसका समुचित मुआवजा दिए जाने के साथ पुनर्वास भी सुनिश्चित किया जाएगा।