दिलीप आर्या ने तय किया मजदूर से अभिनेता तक का सफर, बीहड़ का बागी वेब सीरीज में बिखेर रहे अभिनय की चमक

बीहड़ का बागी के अभिनेता दिलीप आर्या ने मजदूर से अभिनेता तक का सफर तया किया। पिता मजदूर थे उनके निधन के बाद मां ने छह बच्चों की जिम्मेदारी संभाली। पिता के बाद मां ने भी मजदूरी की और दिलीप आर्या का बचपन भी मजदूरी करते हुए गुजरा।

By Rafiya NazEdited By: Publish:Sat, 11 Sep 2021 09:16 AM (IST) Updated:Sat, 11 Sep 2021 03:47 PM (IST)
दिलीप आर्या ने तय किया मजदूर से अभिनेता तक का सफर, बीहड़ का बागी वेब सीरीज में बिखेर रहे अभिनय की चमक
अभिनेता दिलीप आर्या को बीएनए में किया गया सम्‍मानित।

लखनऊ, [दुर्गा शर्मा]। कभी फतेहपुर के खेतों में मजदूरी करने वाले एक किशोर ने आज अभिनय की दुनिया में अपनी पहचान बनाई है। अपनी पहली वेब सीरीज से ही अभिनय कौशल के कारण खूब सराहना पाई। फर्श से अर्श तक की इस कहानी के नायक हैं- बीहड़ का बागी के अभिनेता दिलीप आर्या। पिता मजदूर थे, उनके निधन के बाद मां ने छह बच्चों की जिम्मेदारी संभाली। पिता के बाद मां ने भी मजदूरी की और दिलीप आर्या का बचपन भी मजदूरी करते हुए गुजरा। वह गर्व से कहते हैं कि हालात ने हमारे परिवार के हर सदस्य को मजदूरी करने के लिए विवश किया, पर आत्मसम्मान पर कभी आंच नहीं आने दी। भारतेंदु नाट्य अकादमी में आयोजित कार्यक्रम में दिलीप आर्या को सम्मानित किया गया। इस मौके पर उनसे विस्तार से बात हुई।

आखिर मजदूरी से फिल्मी दुनिया का सफर कैसे तय हुआ, इस पर दिलीप आर्या भावुक होकर बताते हैं- मजदूरी के साथ-साथ पढ़ाई भी चलती रही, क्योंकि मैं इस बात पर विश्वास करता कि शिक्षा ही वह जरिया है जिससे सम्मान और आमदनी दोनों साथ में हो सकती है। घरवालों ने प्रेरित किया तो स्नातक भी कर लिया। इसी बीच अभिनय में रुचि होने लगी। दिलीप बताते हैं कि मैंने कहीं पढ़ा था कि एनएसडी में पढ़ाई करने वालों ने सिनेमा में बड़ा नाम कमाया है। मैंने एनएसडी में दाखिले की कोशिश की, पर सफल नहीं हुआ।

दिलीप ने बताया कि इसके बाद लखनऊ पहुंचा और भारतेंदु नाट‌्य अकादमी में प्रवेश के लिए प्रयास किया। यहां दाखिला हो गया, भारतेंदु नाट‌्य अकादमी में दो साल खूब शानदार बीते। दिलीप कहते हैं, लखनऊ मेरे लिए बहुत खास है, क्योंकि यहीं के भारतेंदु नाट्य अकादमी का मैं पूर्व छात्र हूं, इसी संस्थान ने मुझमें छिपे हुनर को तराशा। लखनऊ से पुणे, फिर मुंबई पहुंच गया। मुंबई पहुंचने के बाद एक अलग ही संघर्ष शुरू हुआ। धीरे-धीरे लाइव शो मिलने लगे। चैनलों में काम मिलना भी शुरू हो गया। फिर एक दिन किस्मत चमकी और कुख्यात डकैत ददुआ के जीवन पर बनी वेब सीरीज बीहड़ का बागी में लीड रोल करने का मौका मिला। दिलीप कहते हैं, मैं उन सभी लोगों का आभारी हूं जिन्होंने वेब सीरिज में मेरे काम को पसंद किया, यह एक सपने के सच होने जैसा अनुभव है।

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