सरकारी नौकरी का झांसा देकर बनाता था ठगी का शिकार, पत्‍नी के नाम जमा करता था रकम

साइबर क्राइम सेल और हजरतगंज पुलिस ने दबोचा। यूपीएसआरटीसी, पतंजलि आयुर्वेद और सिटी ट्रांसपोर्ट में नियुक्ति का निकाला था फर्जी विज्ञापन। प्रदेश भर में हजारों लोगों से ठगी उजागर, दर्जनों लोगों ने की शिकायत।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Sat, 22 Sep 2018 05:02 PM (IST) Updated:Sat, 22 Sep 2018 05:13 PM (IST)
सरकारी नौकरी का झांसा देकर बनाता था ठगी का शिकार, पत्‍नी के नाम जमा करता था रकम
सरकारी नौकरी का झांसा देकर बनाता था ठगी का शिकार, पत्‍नी के नाम जमा करता था रकम

लखनऊ(जेएनएन)। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में नौकरी का झांसा देकर प्रदेश भर के हजारों बेरोजगार युवकों से ठगी के आरोपित को साइबर क्राइम सेल व हजरतगंज पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपित ने पतंजलि आयुर्वेद एवं लखनऊ सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड के नाम पर भी फर्जी नियुक्ति का विज्ञापन निकलवाया था। साइबर सेल के नोडल अधिकारी व सीओ हजरतगंज अभय कुमार मिश्र के मुताबिक, गिरोह का मास्टर माइंड अलीगढ़ के अतरौली स्थित बैंबीरपुर निवासी दुर्गेश कुमार शर्मा के पास से बड़ी मात्रा में फर्जी नियुक्ति पत्र बरामद किए गए हैं।

सीओ हजरतगंज ने बताया कि यूपीएसआरटीसी के क्षेत्रीय प्रबंधक पीके बोस ने मामले की शिकायत की थी। क्षेत्रीय कार्यालय में तमाम युवा फर्जी नियुक्ति पत्र लेकर प्रशिक्षण के लिए पहुंचे थे, जिसके बाद विभाग को प्रकरण की जानकारी हुई। क्षेत्रीय प्रबंधक ने एसएसपी कलानिधि नैथानी से संपर्क कर उन्हें शिकायत पत्र दिया था। इसपर एसएसपी ने साइबर सेल को छानबीन में लगाया था। पड़ताल के दौरान पता चला कि आरोपित दुर्गेश समाचार पत्र में विज्ञापन देकर परिवहन निगम में सीधी भर्ती की जानकारी देता था। विज्ञापन में अभ्यर्थियों को संपर्क करने के लिए वह अपना मोबाइल नंबर भी अंकित कराता था।

पांच सौ से 10 हजार तक वसूले

पूछताछ में आरोपित ने बताया कि वह बेरोजगार युवकों से रजिस्ट्रेशन के नाम पर पांच सौ रुपये विभिन्न बैंक खातों में जमा कराता था। इसके बाद उनसे फर्जी नियुक्ति पत्र थमाकर 10 हजार रुपये खाते में ही सिक्योरिटी मनी के नाम पर लेता था। आरोपित ने राजधानी समेत इलाहाबाद, वाराणसी व गोरखपुर मंडल के युवाओं से ठगी की बात स्वीकार की है।

पत्नी के खाते में जमा कराए रुपये

साइबर सेल प्रभारी इंस्पेक्टर विजय वीर सिरोही के मुताबिक छानबीन में पता चला कि आरोपित ने परिवहन निगम के नाम फर्जी ई-मेल आइडी बनाई थी। इस आइडी के माध्यम से वह युवकों का रजिस्ट्रेशन कराता था। दुर्गेश ने जिस खाते में रुपये मंगाए थे वह उसकी पत्नी के नाम था, जो आधार से भी लिंक है। पड़ताल के दौरान आरोपित को दबोच लिया गया। इस फर्जीवाड़े में दुर्गेश के अलावा और कौन लोग शामिल हैं, इसके बारे में जानकारी जुटाई जा रही है।

दिल्ली से सीखा फर्जीवाड़ा, एटा से कर रहा था संचालन

साइबर सेल के मुताबिक दुर्गेश ने दिल्ली के एक कॉल सेंटर में काम किया था। इस दौरान उसके कुछ साथी नौकरी के नाम पर फर्जीवाड़ा करते थे। वहीं पर इसने भी ठगी का तरीका सीखा था। इसके बाद एटा में रहकर खुद गिरोह संचालित करने लगा। आरोपित के पास से तीन मोबाइल फोन, एक लैपटाप, फर्जी नियुक्ति पत्र, फर्जी ट्रेनिंग लेटर, प्रचार सामग्री व बड़ी संख्या में फर्जी एडमिट कार्ड बरामद किए गए हैं।

इन लोगों ने शिकायत

ठगी की शिकायत करने वालों में लखीमपुर खीरी निवासी सोमनाथ वर्मा, शिवम वर्मा, कानपुर देहात निवासी अंकित श्रीवास्तव, फिरोजाबाद निवासी हाकिम सिंह एवं रावतपुर कानपुर निवासी विशाल वर्मा शामिल हैं। पीडि़तों ने परिवहन विभाग से नियुक्ति पत्र दिखाते हुए शिकायत की थी। सीओ का कहना है कि आरोपित के पकड़े जाने की सूचना पाकर तमाम लोगों के फोन आ रहे हैं। आरोपित के खिलाफ हजरतगंज, ठाकुरगंज और आलमबाग में एफआइआर दर्ज है।

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