SGPGI Lucknow Research: सिर्फ पेट सम्बंधित लक्षणों के साथ भी हो सकता है कोविड-19

जिन मरीज़ों में पेट से संबंधित लक्षण थे वह ज़्यादा गंभीर बीमारी से ग्रस्त हुए एवं उनमें मृत्यु दर भी अधिक पाई गई । यह शोध सिर्फ मरीज़ों ही नहीं बल्कि उन चिकित्सकों के लिए भी ज़रूरी है जो प्रतिदिन कई मरीज़ देखते हैं

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Thu, 26 Nov 2020 07:02 PM (IST) Updated:Thu, 26 Nov 2020 07:02 PM (IST)
SGPGI Lucknow Research: सिर्फ पेट सम्बंधित लक्षणों के साथ भी हो सकता है कोविड-19
अप्रैल से मई माह तक कोविड जांंच कराने वाले करीब 16 हज़ार मरीज़ों को इस शोध में शामिल किया गया।

लखनऊ, जेएनएन। एसजीपीजीआई ने शोध में पाया है कि कोरोना वायरस से ग्रस्त मरीज़ सिर्फ पेट से सम्बंधित लक्षणों के साथ भी प्रस्तुत कर सकते हैं । अप्रैल से मई माह तक कोविड जांंच कराने वाले करीब 16 हज़ार मरीज़ों को इस शोध में शामिल किया गया, जिसमें से 252 मरीज़ों की जाँच पॉजिटिव पाई गई । इन 252 में से 208 (82.5 फीसद) मरीज़ पूर्णतः लक्षणरहित (असिम्प्टोमैटिक) थे वहीं 44 मरीज़ों में पेट से संबंधित या अन्य लक्षण पाए गए । इनमें से 40 फीसद मरीज़ों में सिर्फ अन्य (सांंस में तकलीफ, बुखार, जुखाम, खांंसी, गला खराब, कमज़ोरी आदि), 35 फीसद में अन्य एवं पेट संबंधित लक्षण दोनों तथा 25 फीसद मरीज़ों में सिर्फ पेट से संबंधित लक्षण पाए गए । यहांं चौंकाने वाला तथ्य यह है कि सिम्प्टोमैटिक मरीज़ों में से एक चौथाई (1/4th) सिर्फ पेट से सम्बंधित लक्षणों के साथ प्रस्तुत हुए। शोध में 5 फीसद से भी कम मरीज़ों में गम्भीर बीमारी हुई एवं लगभग 2 फीसद मरीज़ों की मृत्यु हुई ।

एक और महत्वपूर्ण तथ्य जो इस शोध में उभर कर आया वह यह था कि जिन मरीज़ों में पेट से संबंधित लक्षण थे वह ज़्यादा गंभीर बीमारी से ग्रस्त हुए एवं उनमें मृत्यु दर भी अधिक पाई गई । यह शोध सिर्फ मरीज़ों ही नहीं बल्कि उन चिकित्सकों के लिए भी ज़रूरी है जो प्रतिदिन कई मरीज़ देखते हैं। ऐसे में इस तथ्य के प्रति सजग होना ज़रूरी है कि सिर्फ पेट संबंधित लक्षण के साथ भी कोरोनॉ के मरीज़ प्रस्तुत कर सकते हैं । इस शोध में अन्य देशों की तुलना में हमारे यहांं मृत्यु दर एवं बीमारी की गंभीरता भी कम पाई गई, शोधपत्र के लेखकों द्वारा संक्रामक बीमारियों के आम होने के कारण भारतीयों में बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता (टी सेल रिस्पांस), आंतोंं में अच्छे सूक्ष्म जीवों का बाहुल्य (बेहतर गट माइक्रोबायोटा) तथा संभवतः कोरोनॉ वायरस के कम आक्रामक प्रकार (जीनोटाइप) का होना इसके कारण प्रस्तावित किए गए हैं ।

यह शोध कार्य गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के डॉ. उदय घोषाल, माइक्रोबायोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. उज्जवला घोषाल, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के डॉ. आकाश माथुर एवं उनकी टीम द्वारा संस्थान निदेशक डॉ. आर. के. धीमन के नेतृत्व में किया गया। यह शोध हाल ही में अमेरिकन कॉलेज ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी के प्रतिष्ठित जर्नल 'क्लीनिकल एंड ट्रांसलेशनल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी' में प्रकाशित हुआ है ।

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