खून के नाम पर बेच रहे थे 'लाल जहर', जांच रिपोर्ट में हुआ खुलासा

पीजीआइ की जांच रिपोर्ट में संक्रमित और मिलावटी होने की पुष्टि। मरीजों को चढ़ जाता खून तो खतरे में पड़ जाती उनकी जिंदगी।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Tue, 13 Nov 2018 09:59 AM (IST) Updated:Tue, 13 Nov 2018 02:30 PM (IST)
खून के नाम पर बेच रहे थे 'लाल जहर', जांच रिपोर्ट में हुआ खुलासा
खून के नाम पर बेच रहे थे 'लाल जहर', जांच रिपोर्ट में हुआ खुलासा

लखनऊ, (जेएनएन)। राजधानी में खून के धंधेबाजों ने कमाई के लिए आम लोगों की जान से खुलेआम खिलवाड़ किया। बीते दिनों एसटीएफ व खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग (एफएसडीए) की टीम ने इन धंधेबाजों के घरों में छापामार कर जो खून बरामद किया था वह संक्रमित व मिलावटी निकला। यह संक्रमित खून अगर किसी मरीज को चढ़ा होगा तो उसकी जान चली जाती। खून में खतरनाक बैक्टीरिया मिले हैं। इसके अलावा स्लाइन वाटर व दूसरे केमिकल भी मिलाए गए हैं। जब्त किए गए छह यूनिट खून के नमूने की पीजीआइ द्वारा की गई जांच में यह खुलासा हुआ है। सोमवार को एफएसडीए के अधिकारियों ने पीजीआई की जांच रिपोर्ट एसटीएफ को सौंप दी है। अब आगे मिलावटी खून के सौदागरों पर कार्रवाई होगी।

राजधानी में 25 अक्टूबर को एसटीएफ और एफएसडीए की टीम ने खून का अवैध धंधे का भंड़ाफोड़ किया था। इसमें निशातगंज, फैजुल्लागंज व खदरा में स्थित इन धंधेबाजों के घरों में छापेमारी की थी। प्रत्येक के घर में दो-दो यूनिट खून पाया गया था। मिलावटी खून के कारोबार में लगे मुख्य आरोपी नसीम सहित पांच लोगों को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया था। इसमें निरालानगर में स्थित बीएनके अस्पताल के दो कर्मचारी भी शामिल थे। एफएसडीए ने बरामद छह यूनिट खून पीजीआइ में जांच के लिए भेजा था। खून में खतरनाक बैक्टीरिया थे। डॉक्टरों का कहना है कि यदि खून मरीज को चढ़ा दिया जाता तो उसकी जान जा सकती थी।

नार्मल स्लाइन मिलाकर बढ़ाई जाती थी खून की मात्रा

जांच रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हुई है कि खून की मात्रा बढ़ाने के लिए धंधेबाज उसमें पानी तक मिलाने से गुरेज नहीं करते थे। नार्मल स्लाइन (ग्लूकोज) व दूसरे रसायन का इस्तेमाल भी किया जाता था। आरोपियों ने पूछताछ में बताया था कि दो यूनिट खून में स्लाइन वाटर मिलाकर उसे तीन यूनिट के बराबर कर देते थे।

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