Mahila Sharanalaya in Lucknow: मूक बध‍िर और मानस‍िक मंद‍ित बता गुमराह कर रहीं थी क‍िशोर‍ियां, आधार ने खोली पोल

2017 में एक क‍िशोरी घर से गायब हो गई थी और पिता ने आलमबाग थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। अपहरण का आरोप लगाते हुए पुलिस को तहरीर दी थी लेकिन गुमशुदगी में मामला दर्ज कर पुलिस ने फाइल को ठंडे बस्ते में डाल दिया था।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Fri, 17 Sep 2021 10:23 AM (IST) Updated:Sat, 18 Sep 2021 07:26 AM (IST)
Mahila Sharanalaya in Lucknow: मूक बध‍िर और मानस‍िक मंद‍ित बता गुमराह कर रहीं थी क‍िशोर‍ियां, आधार ने खोली पोल
माता-पिता को भी बच्चों से संवाद जरूर करना चाहिए जिससे भविष्य में कोई ऐसी हरकत न करे।

लखनऊ, [जितेंद्र उपाध्याय]। आधार : आम आदमी का अधिकार, स्लोगन सभी आधार कार्ड पर लिखा रहता है, लेकिन यह कितना जरूरी है, यह उन माता पिता से पूछिए जिन्होंने इसके माध्यम से अपनों को खाेकर उन्हें फिर से पा चुके हैं। राजकीय महिला शरणालय की अधीक्षिका आरती सिंह ने बताया कि आलमबाग की लड़की की शातिराना हरकत से हम सब दंग रहे गए। आलमबाग थाने के चक्कर लगा कर जिस बेटी को पाने की दुआएं माता-पिता कर रहे थे उसे वह मृतक बताकर लोगों की सहानुभूति ले रही थी। माता-पिता को भी बच्चों से संवाद जरूर करना चाहिए जिससे भविष्य में कोई ऐसी हरकत न करे। गुरुवार को बिजनौर की लड़की को उसके घर वालों के सिपुर्द किया गया और बुधवार को आलमबाग की लड़की को घर वालों का सौंपा गया।

2017 में एक क‍िशोरी घर से गायब हो गई थी और पिता ने आलमबाग थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। अपहरण का आरोप लगाते हुए पुलिस को तहरीर दी थी, लेकिन गुमशुदगी में मामला दर्ज कर पुलिस ने फाइल को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। नाबालिक होने के कारण नाका पुलिस ने उसे चाइल्डलाइन के माध्यम से मोतीनगर के लीलावती मुंशी बाल गृह में रखवा दिया जहां से कुछ दिन बाद उसे मड़ियांव के बालगृह में भेज दिया। मानसिक मंदित का नाटक कर रही क‍िशोरी जब 18 साल की हो गई तो उसे प्राग नारायण रोड के राजकीय महिला शरणालय लाया गया।

काउंसिलिंग कर महिलाओं को उनके घर पहुंचाने का काम करने वाली अधीक्षिका आरती सिंह को उसकी हरकतों पर शक हुई तो फिर उन्होंने पड़ताल शुरू की। जुलाई में शरणालय में आधार कार्ड बनवाने का शिविर लगाया गया। शिविर के दौरान सभी का आधार कार्ड पूछकर बनवाया गया कि जिसका न बना हो वह बनवा ले। खुद को राधा बताने वाली युवती ने भी बायोमीट्रिक निशान दिए। कुछ दिनों बाद कुछ का आधार आया लेकिन कई का नहीं आया। अधीक्षिका ने पड़ताल की तो पता चलाकि उसका पहले से ही बना है, उसकी दूसरी कापी दी जा रही है। आधार कार्ड मिला तो उसे लिखे आलमबाग के पते पर पुलिस के माध्यम से जांच कराई गई तो पता चला कि राधा बता कर रहने वाली युवती का नाम ज्योति यादव है और उसके पिता का नाम महेंद्र यादव है।

माता-पिता को मृतक बता कर हासिल की सहानुभूति : अपनी लाडली को माता-पिता परेशान है वह अपने माता-पिता को मृतक बताकर बालगृह व शरणालय में लोगों की सहानुभूति ले रही थी। बिना किसी कष्ट के चार भाई और बहनाें को माता पिता मजदूरी करके पालते थे। इसके बावजूद वह बेटी उन्हें मृतक बताकर बालगृह में रह रही थी।

मम्मी का काम नहीं पसंद था : ज्योति से जब पूछा गया कि जब तुम्हे कोई कष्ट नहीं था तो घर से भाग क्यों गई। उनसे बताया कि मम्मी दूसरों के घर काम करने जाती थीं और जब वह बीमार रहती थी तो मुझे जाना पड़ता था। ये मुझे पसंद नहीं था। माता-पिता ने उसे स्वीकार अधीक्षिका आरती सिंह को धन्यवाद दिया और ज्योति ने सभी से माफी मांगी और अपने जैसे लोगों को ऐसा न करने का संदेश दिया।

वहीं मूक बधिर अंबिका भी राजकीय शरणालय में रह रही थी। काउंसिलिंग में खुद को स्टेशन के पास इशारों में बताती थी, लेकिन सही पता नहीं लग पा रहा था। जुलाई में अधार कार्ड बनाने का परिसर में शिविर लगा और उसका आधारकार्ड बनवाया गया। नया बना आधार कार्ड नहीं आया तो पता चला कि उसका पहले से ही आधार कार्ड बना है। उसके आधार पर पुलिस के माध्यम से खोज हुई तो उसका पता नेपाल निकला और उसकी शादी पीलीभीत में हुई थी। पुलिस की मदद से उसे भी उनके परिवार के सिपुर्द कर दिया गया। ये दो केस तो सिर्फ बानगी हैं, आधार कार्ड के माध्यम से प्रिया, शांति व शना को भी उनके घर वालों तक पहुंचाया गया।

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