Good News: लाल सड़न रोग से मुक्त गन्ने की नई किस्म लाएगी किसानों के जीवन में मिठास, 1210 करोड़ रुपये की होगी बचत

Good News भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान का शोध। संस्थान किसानों को उपलब्ध कराएगा नई किस्म। दावा है कि गन्ना उत्पादन में इस नई किस्म से जबरदस्त आर्थिक क्रांति आएगी जिससे न केवल प्रदेश के 30 लाख गन्ना किसानों की जेब भारी होगी।

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Sun, 25 Oct 2020 08:41 AM (IST) Updated:Sun, 25 Oct 2020 08:41 AM (IST)
Good News: लाल सड़न रोग से मुक्त गन्ने की नई किस्म लाएगी किसानों के जीवन में मिठास, 1210 करोड़ रुपये की होगी बचत
Good News: भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान का शोध। संस्थान किसानों को उपलब्ध कराएगा नई किस्म।

लखनऊ[रूमा सिन्हा]। Good News: चीनी का कटोरा कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी है। भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान के शोध प्रयासों से गन्ने की ऐसी नई किस्म विकसित की गई है, जो लाल सड़न रोग से मुक्त होगी। गन्ना किसानों को लाल सडऩ रोग से हर साल लगभग 1210 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। इस रोग के उपचार के लिए कोराजन नामक जिस दवा का इस्तेमाल किया जाता है  उससे जल स्रोत भी विषैले हो रहे हैं  इसे देखते हुए संस्थान द्वारा दो दिन पूर्व जारी की गई नई किस्म कोलख 14201 से बड़ी उम्मीदें हैं।

वैज्ञानिकों का दावा है कि गन्ना उत्पादन में इस नई किस्म से जबरदस्त आर्थिक क्रांति आएगी, जिससे न केवल प्रदेश के 30 लाख गन्ना किसानों की जेब भारी होगी, बल्कि प्रदेश को भी राजस्व के रूप में करोड़ों की राशि हासिल होगी। वैज्ञानिकों ने सात-आठ साल के अनुसंधान के बाद इसे विकसित किया है। गन्ना आयुक्त ने इस नई प्रजाति का विमोचन दो दिन पूर्व किया है और अब यह गन्ना किसानों को उपलब्ध होगी।  

 संस्थान के निदेशक डॉ. अश्विनी दत्त पाठक ने बताया कि प्रदेश में सबसे अधिक प्रचलित किस्म कोलख 0238 में लाल सडऩ रोग के साथ कई कीटों का व्यापक स्तर पर प्रकोप से किसान काफी परेशान थे। इस रोग के उपचार के लिए किसानों को वर्ष में दो बार कोराजन दवाई का प्रयोग करना पड़ रहा था। इससे किसान को प्रति हेक्टेअर 6875 रुपये अतिरिक्त खर्च करने पड़ते हैं। प्रदेश में 17.6 लाख हेक्टेअर क्षेत्रफल में गन्ना पैदा किया जाता है। इस लिहाज से कोराजन दवाई पर 1210 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय किसानों को वहन करना पड़ता है। इससे मिट्टी और पानी भी दूषित होते हैं। डॉ. जे सिंह, डॉ. पीके सिंह, डॉ. संजीव कुमार, डॉ. डीके पांडेय का दावा है कि नई किस्म की उपज 90-100 टन प्रति हेक्टेअर है जो वर्तमान औसत उपज लगभग 80 टन प्रति हेक्टेअर से काफी अधिक है। प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एके शाह ने उम्मीद जताई कि अगले दो-तीन वर्षों में प्रदेश के 30 प्रतिशत गन्ना क्षेत्र इस किस्म से आच्छादित होगा, जिससे किसानों को लगभग 2145 करोड़ रुपये अतिरिक्त मुनाफा होगा।

यह है विशेषता

कोलख 14201 में व्यवसायिक चीनी उत्पादन 11.94 टन प्रति हेक्टेअर है। इस तरह चीनी मिल इस प्रजाति से प्रति हेक्टेअर गन्ने से 9.5 कुंतल अतिरिक्त चीनी प्राप्त कर सकती हैं, जिससे एक हेक्टेअर में 31350 रुपये अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा। खास बात यह भी है कि नई किस्म का गन्ना एकदम सीधा खड़ा रहता है। इसलिए फसल को बंधाई करने की जरूरत नहीं होगी, जिससे किसानों का बंधाई पर आने वाला खर्च भी बचेगा। इससे तैयार गुड़ भी सुनहरे रंग व उच्च गुणवत्ता का होता है। अत: आर्गेनिक गुड़ उत्पादन हेतु भी यह सर्वश्रेष्ठ है।

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