चालीस वर्ष पहले की दवा करेगी कोराना का काट, बचा चुकी है लाखों मानव और पशुओं का जीवन

देखा गया है कि यह एंटीवायरल जीवाणुरोधी और एंटीकैंसर गतिविधियों में कारगर साबित हो सकती है। दुनिया भर में अरबों पशुधन को बचाने में काम आ चुकी है।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Sat, 04 Jul 2020 08:32 AM (IST) Updated:Sat, 04 Jul 2020 09:35 AM (IST)
चालीस वर्ष पहले की दवा करेगी कोराना का काट, बचा चुकी है लाखों मानव और पशुओं का जीवन
चालीस वर्ष पहले की दवा करेगी कोराना का काट, बचा चुकी है लाखों मानव और पशुओं का जीवन

लखनऊ, (कुमार संजय)।चालीस  पहले (1981) खोजी गई दवा इवरमेक्टिन अब कोरोना संक्रमित मरीजों को बचाने में कारगर साबित हो सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस दवा को कंबीनेशनन में देने से काफी फायदा मिल सकता है। इवरमेक्टिन रसायन कई प्रकार के परजीवी संक्रमणों के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दवा मानी जाती रही है। देखा गया है कि यह एंटीवायरल, जीवाणुरोधी और एंटीकैंसर गतिविधियों में कारगर साबित हो सकती है। पशु स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करने के लिए दुनिया भर में अरबों पशुधन को बचाने में काम आ चुकी है।

मनुष्यों में ऑन्कोकार्कोसिस के उन्मूलन कार्यक्रमों में एक प्रमुख दवा के रूप में इसका इस्तेमाल हुआ। इंटरनेशनल मेडिकल जर्नल साइंस डायरेक्ट का कहना है कि इनवर मेक्टिन कोरोना वायरस का अवरोधक है। कोरोना संक्रमित सेल में इस दवा का एक डोज 48 घंटे में वायरस में 5000-गुना कमी लाने में सक्षम है। यह एक एकल उपचार हो सकता है। इसी बात की पुष्टि एनल आफ क्लीनिकल माइक्रोबायलोजी एंड एंटी माइक्रोबियल ने भी की है। इवर मेक्टिन, ए न्यू कंडीडेट थिरेपियूटिक एगेंसट सार्स – कोवि-2, कोविड-19 विषय पर लिखा है कि इस दवा के इस्तेमाल पर और अधिक काम करने की जरूरत है।

आरएनए वायरस पर कारगर रही है यह दवा

यद दवा रिबोन्यूक्लिक एसिड (आरएनए) वायरस जैसे कि जीका वायरस , इन्फ्लूएंजा ए वायरस , वेनेजुएला के एनीसेफेलाइटिस वायरस , वेस्ट नील वायरस के खिलाफ शक्तिशाली एंटीवायरल प्रभाव प्रदर्शित किए हैं। श्वसन सिंड्रोम वायरस, न्यूकैसल रोग वायरस , चिकनगुनिया वायरस , ह्यूमन इम्यूनोडिफीसिअन्सी वायरस (एचआईवी -1) , पीला बुखार वायरस, डेंगू वायरस, जापानी एन्सेफलाइटिस वायरस में यह दवा कारगर साबित हुई जिसके आधार पर इस दवा का कार्य क्षमता का आकलन कोरोना वायरस पर किया गया।

देश विदेश के चार संस्थान के विज्ञानियों ने जतायी उम्मीद

इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट बरेली, कालेज आफ वेटनरी साइंस मथुरा, यूनिवर्सटी आफ आटोनोमा डी लास कोलंबिया, सैमसुन लाइव हास्पिटल टर्की के डा. खान सारून, डा.कुलजीप डामा, डा. शैलेष कुमार पटेल , डा. ममता पाठक, डा.रूचि तिवारी, डा.भोज राज सिंह, डा.रंजीत शाह, डा. डी कैटरीन, डा.एलफोसोन ,डा. हाकान को शोध पत्र एनल आफ क्लीनिकल माइक्रोबायलोजी एंड एंटी माइक्रोबियल ने स्वीकार करते हुए कहा है कि कोरोना के लिए नया विकल्प साबित हो सकता है।

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