महोबा केस : फर्जी केस में फंसाने की मास्टरमाइंड निकली पुलिस, SIT जांच में निलंबित SP समेत 40 पुलिसकर्मी दोषी

महोबा में क्रशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी की मौत हत्या भले न साबित हुई हो लेकिन एसआइटी जांच में तत्कालीन एसपी मणिलाल पाटीदार से लेकर अन्य पुलिसकर्मियों के सिंडीकेट बनाकर भ्रष्टाचार की फसल खड़ी करने का संगीन मामला सामने आया है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Sat, 26 Sep 2020 12:57 AM (IST) Updated:Sat, 26 Sep 2020 09:53 AM (IST)
महोबा केस : फर्जी केस में फंसाने की मास्टरमाइंड निकली पुलिस, SIT जांच में निलंबित SP समेत 40 पुलिसकर्मी दोषी
डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी के निर्देश पर महोबा गोलीकांड के लिए गठित एसआइटी को कई गंभीर तथ्य मिले हैं।

लखनऊ, जेएनएन। महोबा में क्रशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी की मौत हत्या भले न साबित हुई हो, लेकिन विशेष जांच दल (एसआइटी) जांच में तत्कालीन एसपी मणिलाल पाटीदार से लेकर अन्य पुलिसकर्मियों के सिंडीकेट बनाकर भ्रष्टाचार की फसल खड़ी करने का संगीन मामला सामने आया है।

एक-दो नहीं, 10 से 12 तक ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें पुलिस ने बेकसूरों को झूठे मुकदमे में फंसाने का प्रयास किया। सूत्रों का कहना है कि आइजी वाराणसी विजय सिंह मीणा की अगुवाई में एसआइटी की पड़ताल में ऐसे कई गंभीर आरोपों की पुष्टि हुई है, जबकि कुछ शिकायतों में अभी और जांच की गुंजाइश है।

महोबा प्रकरण की जांच के लिए गठित एसआइटी सिंडीकेट बनाकर भ्रष्टाचार किए जाने और लोगों को फर्जी मुकदमों में फंसाए जाने के षड्यंत्र की अपनी एक अलग जांच रिपोर्ट डीजीपी को सौंपेगी, जिसमें महोबा के तत्कालीन एसपी मणिलाल पाटीदार समेत करीब 40 पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कठोर विभागीय कार्रवाई की संस्तुति किए जाने की तैयारी है।

डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी के निर्देश पर महोबा गोलीकांड के लिए गठित एसआइटी को जांच के दौरान कई गंभीर तथ्य भी मिले हैं। ऐसी शिकायतों में निलंबित एसपी मणिलाल पाटीदार से लेकर सीओ, एसओ व अन्य पुलिसकर्मियों की भूमिका संदिग्ध है।

पुलिस ने फर्जी मुकदमों में फंसाने का किया षड्यंत्र

एसआइटी ने करीब 12 ऐसे पीड़ितों की शिकायतों का परीक्षण किया है, जिनमें हत्या के प्रयास से लेकर अन्य गंभीर धाराओं में फर्जी फंसाए जाने के आरोप हैं। जांच में पाया गया कि कई लोगों को पुलिस ने फर्जी मुकदमों में फंसाने का षड्यंत्र किया। भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे पुलिस अधिकारी व कर्मी जल्द बेनकाब होंगे। आइजी विजय सिंह मीणा का कहना है कि एसआइटी ने अपनी जांच पूरी कर ली है। जल्द रिपार्ट डीजीपी मुख्यालय को सौंप दी जाएगी।

व्यापारी इंद्रकांत को उनकी ही पिस्टल से लगी थी गोली

महोबा के कबरई में क्रशर व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी को गोली उनकी ही पिस्टल से लगी थी। विशेष जांच दल (एसआइटी) की सात दिन चली जांच के बाद एडीजी प्रयागराज प्रेमप्रकाश ने शुक्रवार को इस दावे के साथ मामले का राजफाश किया। उन्होंने बताया कि जांच में यह साफ हो गया कि हत्या नहीं की गई।

गोली नजदीक व आगे से लगी है। फिलहाल जांच चलती रहेगी। सीओ सिटी कालू सिंह जांच करेंगे। शासन द्वारा यदि किसी एजेंसी को जांच दी जाएगी, तो तो उसका पूर्ण सहयोग किया जाएगा। महोबा पुलिस लाइन सभागार में प्रेस वार्ता में एडीजी प्रेमप्रकाश ने बताया कि व्यवसायी इंद्रकांत ने वीडियो वायरल कर पूर्व एसपी मणिलाल पाटीदार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा खुद की हत्या की आशंका जताई थी। यह भी कहा था कि वह नौ सितंबर को प्रेस कांफ्रेंस भी करेंगे। 

तत्कालीन एसपी ने आरोपों का किया था खंडन

सात सितंबर को ही तत्कालीन एसपी ने आरोपों का खंडन कर इंद्रकांत को जुए-सट्टे का व्यापारी बताया। कहा था कि वह मैगजीन की आड़ में अवैध विस्फोटक का कार्य करते हैं। कबरई थाने में इसका मामला दर्ज किया गया। एक वीडियो आठ सितंबर को वायरल हुआ जिसमें व्यापारी को जुआ खेलते दिखाया गया। एडीजी ने बताया कि इंद्रकांत को उनकी कार में घायल अवस्था में घटनास्थल के पास ही गांव बघवा खोड़ा के बच्चे रविंद्र श्रीवास व अंकुश प्रजापति ने देखा और ग्रामीणों को जानकारी दी। जिन्होंने गांव के ही शिवपाल यादव को सूचना दी। जिसने सत्येंद्र उर्फ सत्यम पुत्र अर्जुन सिंह को घटना की सूचना दी। जो कि इंद्रकांत के पार्टनर बालकिशोर उर्फ बल्लू महाराज को जानकारी देते हुए अर्जुन ने इंद्रकांत को अस्पताल ले गए।

वहीं, कार में पड़ी इंद्रकांत की पिस्टल को उसी बालकिशोर के भाई आशाराम के जरिए इंद्रकांत की पत्नी को दे दी गई। 13 सितंबर को घायल व्यापारी रीजेंसी अस्पताल कानपुर में मौत हो गई। इसके बाद पूर्व एसपी, तत्कालीन एसएचओ कबरई देवेंद्र शुक्ला, इंद्रकांत के पार्टनर सुरेश सोनी, ब्रह्मदत्त और अन्य पर हत्या का मुकदमा दर्ज कराया गया।

एसआइटी ऐसे पहुंची निष्कर्ष पर

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गोली के प्रवेश और निकास के घावों के बारे में स्पष्ट टिप्पणी अंकित नहीं थी। इसके बाद रीजेंसी के चिकित्सकों से पूछताछ हुई तो गोली लगने के प्रवेश और निकास के घाव स्पष्ट हुए। इंद्रकांत की कार से फायर के संबंध में महत्वपूर्ण बैलेस्टिक साइंस से संबंधित सक्ष्य मिले। इसके बाद दिवंगत व्यापारी के स्वजन से लाइसेंस पिस्टल प्राप्त किया गया। अन्य लोगों के भी पिस्टल जमा करा विधि विज्ञान प्रयोगशाला आगरा भेजा गया। जांच के बाद यह पता चला कि कार से बरामद कारतूस और खोखा इंद्रकांत की पिस्टल का है।

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