उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों के 3342 शिक्षकों ने बदले पैन नंबर, एसटीएफ करेगी जांच
उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से संचालित स्कूलों के 3342 शिक्षक ऐसे हैं जिन्होंने नौकरी पाने के बाद अपने पैन नंबर बदले हैं।
लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से संचालित स्कूलों के 3342 शिक्षक ऐसे हैं जिन्होंने नौकरी पाने के बाद अपने पैन नंबर बदले हैं। बेसिक शिक्षा विभाग ने ऐसे मामलों को संदिग्ध मानते हुए इसकी जानकारी पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) को दी है। सामान्य तौर पर पैन नंबर बदलने का कोई औचित्य नहीं है। इसलिए विभाग ऐसे मामलों को संदिग्ध मान रहा है।
परिषदीय स्कूलों में फर्जी और कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर शिक्षकों की नियुक्तियां बड़े पैमाने पर हुई हैं। पुलिस के विशेष जांच दल (एसआइटी) और पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की जांचों में बड़ी संख्या में ऐसे मामले उजागर हुए हैं। इधर कुछ महीनों से विभाग ने शिक्षकों का ब्यौरा मानव संपदा पोर्टल पर अपलोड करना शुरू किया है। इनमें शिक्षकों के पैन नंबर बदले जाने के कुछ प्रकरण सामने आए थे। इस पर विभाग ने प्रदेश के विभिन्न जिलों के कोषागारों से भी इस बाबत ब्यौरा मांगा था।
जिलों से प्राप्त हुई संकलित सूचना के आधार पर यह पाया गया है कि 3342 शिक्षकों ने अपने पैन नंबर बदले हैं। सामान्य तौर पर पैन नंबर बदलने का कोई औचित्य नहीं है। इसलिए विभाग ऐसे मामलों को संदिग्ध मान रहा है। यह आशंका जताई जा रही है कि फर्जी और कूटरचित अभिलेखों के आधार पर शिक्षक की नौकरी पाने वाले अभ्यर्थियों ने नियुक्ति के समय किसी दूसरे के पैन नंबर का इस्तेमाल किया हो। चूंकि इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए हर साल पैन नंबर की जरूरत पड़ती है। इसमें मामला कहीं फंस न जाए, इसलिए बाद में उन्होंने नया पैन नंबर हासिल कर लिया हो। हालांकि पैन नंबर बदले जाने की वजह टाइपिंग या लिपिकीय त्रुटि भी हो सकती है। पुलिस की जांच में ही दूध का दूध, पानी का पानी होगा।
इन जिलों में ज्यादा मामले : मऊ-747, गोंडा-642, बदायूं-459, देवरिया-381, गोरखपुर-279, ललितपुर-153, कासगंज-131, बस्ती-101, संत कबीर नगर-95, कुशीनगर-70, महोबा-67, जौनपुर-48, मथुरा-29, प्रतापगढ़-28, वाराणसी - 27