एक ही दिन में सर्पदंश से 3 की मौत
ललितपुर ब्यूरो: जहरीले साँप के काटने के बाद आज भी ग्रामीण इलाकों में लोग पहले झाड़फूँक कराने के चक्
ललितपुर ब्यूरो:
जहरीले साँप के काटने के बाद आज भी ग्रामीण इलाकों में लोग पहले झाड़फूँक कराने के चक्कर में पड़कर जान गंवा रहे है, इसकी एक बानगी जाखलौन क्षेत्र में रविवार को उजागर हुई है, जहाँ 2 मासूम भाई बहन और 1 किसान को असमय मौत को शिकार होना पड़ा।
सरकार ने जिला अस्पताल समेत सभी सीएचसी एवं पीएचसी स्तर पर सर्पदंश के इलाज को लेकर निशुल्क दवाएं उपलब्ध करा रखी है, जिससे मरीजों का तत्काल इलाज कर उनकी जान बचाई जा सके। बरसात के बाद हर वर्ष ऐसी घटनाओं में इजाफा होता है, ग्रामीण इलाकों में कहीं न कहीं सर्पदंश का शिकार होकर मरीज अस्पताल पहुँच रहे है, इसी तरह रविवार को
जाखलौन अंतर्गत ग्राम जहाजपुर में रहने वाले सहरिया परिवार की 9 महीने की बेटी अनुष्का को देर रात इलाज के लिए जिला अस्पताल लाया गया था, जहाँ चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया था। इसके बाद परिजन मृत बच्ची को लेकर वापस घर पहुँचे, इसी दौरान जहरीले साँप ने उसी टपरे में सो रहे मंगल सहरिया के 7 वर्षीय पुत्र शिवम को भी काट लिया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। वहीं जाखलौन अन्तर्गत गनेशपुरा निवासी नन्दू (46) पुत्र ननू अहिरवार को रात लगभग 12 बजे उसे जहरीले साँप ने काट लिया, जिससे उसकी हालत बिगड़ गई, परिजन उसे झाड़फँूक कराने के लिए ले गए, जिससे उसकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ तो जिला अस्पताल में इलाज के लिए ले जाया गया जहाँ चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया था। चिकित्सकों का कहना है कि जिन मरीजों की मौत अस्पताल में हुई है, उन्हे सीधा अस्पताल न लाकर पहले झाड़फूँक के चक्कर में गम्भीर अवस्था में लाया गया था, जिसके चलते समय रहते उपचार न मिलने की वजह से उनकों नहीं बचाया जा सका। चिकित्सकों के अनुसार सर्पदंश के मरीजों के इलाज के लिए इमरजेन्सी में हर समय एंटि स्नेक वेनम के वॉयल सुरक्षित रहते हैं। वहीं अस्पताल के मुख्य औषधि भण्डार में भी पर्याप्त मात्रा में दवाइयाँ उपलब्ध है, परन्तु अशिक्षा और जागरुकता के अभाव में ग्रामीण अब भी झाड़फूँक और गुनिया के चक्कर में फंसकर मरीजों की जान की बलि चढ़ा रहे है।
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देशी इलाज और तन्त्रमन्त्र में जता रहे विश्वास
ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी साँप के डसने के बाद पहले मरीज को नीम की पत्ती व नमक खिलाकर पुष्टि करते है, गाँव में ही मन्त्र के माध्यम से विष बाँधने की प्रक्रिया पूरी कराते है। विष चूसने, झाड़ने फूँकने की प्रक्रियाएं की जाती है, उसके बाद मरीज ज्यादा गम्भीर हो जाता है तो उसे लेकर अस्पताल भागते हैं। साँप के काटने के बाद जो समय झाड़फूँक में जाता है, वही आखिर में मौत का कारण बनता है। कई स्थानों पर तो झोलाछाप डॉक्टर भी साँप के डसने का इलाज गारन्टी के साथ करने का दावा करते है, जिसके चक्कर में फंसकर अक्सर मरीजों की मौत हो जाती है।
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सर्पदंश से बचाव के उपाय
सर्पदंश के शिकार मरीज के शरीर में चकत्ते पड़ने लगते है। बेहोशी व उल्टी होने लगती है। मुँह से झाग निकलने लगता है,। जैसे ही किसी को साप डसे, तुरन्त उस स्थान का खून निकाल देना चाहिए और घाव को साफ करके तत्काल नजदीकी सीएचसी पर मरीज को भर्ती कराना चाहिए, किसी पीर, औलिया व गाँव के टोटकों से बचना चाहिए और मरीज का हौसला बढ़ाते हुए सोने नहीं देना चाहिए।