याज्ञवल्क्य की परंपरा को पुनर्जीवित किया गुरुदेव ने

लखीमपुर: निघासन में अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा आयोजित 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ कार्यक्रम

By JagranEdited By: Publish:Wed, 14 Nov 2018 11:22 PM (IST) Updated:Wed, 14 Nov 2018 11:22 PM (IST)
याज्ञवल्क्य की परंपरा को पुनर्जीवित किया गुरुदेव ने
याज्ञवल्क्य की परंपरा को पुनर्जीवित किया गुरुदेव ने

लखीमपुर: निघासन में अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा आयोजित 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ कार्यक्रम के तीसरे दिन चार पालियों में यज्ञ कराया गया। जिसमें बच्चों के अन्नप्राशन, मुंडन और विद्यारंभ संस्कार भी कराए गए। शांतिकुंज हरिद्वार से आए शशिकांत ¨सह, बसंती लाल सोलंकी, सुसेन मरकाम, दिलथिर यादव व रूपचंद मरकाम की पांच सदस्यीय टोली द्वारा यज्ञ का संचालन किया गया।

तीसरे प्रात:छह बजे से देव संस्कृत से प्रशिक्षित योग शिक्षकों की टीम द्वारा सभी को योगाभ्यास कराकर स्वस्थ रहने के गुर बताए गए। इसके बाद 108 कुंडीय यज्ञशाला में गुरुवंदना के साथ यज्ञ शुरू हुआ। यज्ञ की महत्ता बताते हुए टोली नायक शशिकांत ¨सह ने बताया युगऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा भारतीय ऋषि संस्कृति के तहत याज्ञवल्क्य की यज्ञ परंपरा को पुनर्जीवन दिया गया। गायत्री सद्बुद्धि और यज्ञ सत्कर्म का प्रतीक है। पुस्तक मेले में उमड़ रही भीड़

परिसर में लगे पुस्तक मेले में बाल निर्माण की कहानियां तथा बुद्धि बढ़ने की वैज्ञानिक विधि लोगों ने ने काफी पसंद कीं। साथ ही महिला मंडल द्वारा बच्चों में संस्कार जगाने के लिए बाल संस्कारशाला के प्रति लोगों को जानकारी दी। केले के पत्तलों पर भोजन प्रसाद की व्यवस्था द्वारा लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया जा रहा है। मीडिया प्रभारी अनुराग मौर्य ने बताया 15 नवंबर को प्रात: कालीन यज्ञ एवं संस्कार के साथ ही सायंकाल छह बजे से विराट दीप महायज्ञ का विशेष आयोजन आकर्षण का केंद्र होगा। जिसमें मुख्य अतिथि देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार के प्रति कुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या का विशेष उद्बोधन होगा।

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