दुधवा पार्क में छोड़ी जाएगी बरेली में ट्रैंकुलाइज की गई बाघिन
बरेली जिले में बंद पड़ी रबर फैक्ट्री के जंगल में 15 माह से ठिकाना बनाए बाघिन को ट्रैंकुलाइज कर लिया गया है।
लखीमपुर : बरेली जिले में बंद पड़ी रबर फैक्ट्री के जंगल में 15 माह से ठिकाना बनाए बाघिन को ट्रैंकुलाइज कर लिया गया है। अधिकारियों के मुताबिक, बाघिन को दुधवा नेशनल पार्क के कोर एरिया में छोड़ा जाएगा। इससे पहले बाघिन का मेडिकल परीक्षण कराया जाएगा। बाघिन को जहां छोड़ा जाएगा। वहां दो वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में 10 कैमरे लगाए जाएंगे ताकि उसके मूवमेंट पर लगातार नजर रखी जा सके।
फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक ने बताया कि बाघिन को दुधवा पार्क के जंगलों में छोड़ा जाएगा। उन्होंने सुरक्षा कारणों की वजह से संबंधित रेंज का नाम बताने से मना कर दिया। बताया कि इस समय बाघिन को डॉट्स लगी है। दवा के असर को खत्म करने के लिए पानी का छिड़काव किया जाएगा। जिसके बाद पेशाब के जरिए शरीर के अंदर की दवा बाहर निकल जाएगी। इसके बाद वनकर्मी लगातार उस पर नजर रखेंगे और जब मेडिकल परीक्षण में वह पूरी तरीके से स्वस्थ होने की रिपोर्ट डाक्टर द्वारा मिल जाएगी। तब उसे जंगल में छोड़ दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि बाघिन वहां भी अपने परंपरागत भोजन को ही खाती रही है। कभी भी इंसानों पर हमला नहीं किया है। इससे उसे हिसक नहीं कहा जा सकता। फील्ड डायरेक्टर का कहना है कि वैसे तो दुधवा में हर वन्यजीव पर नजर रखी जाती है, लेकिन यह बाघिन दूसरी जगह से दुधवा आ रही है इसलिए इलाकाई वनकर्मियों को लगातार मानीटरिग करने के निर्देश दिए गए हैं।
नदी के किनारे देखा गया मगरमच्छ कठिना नदी के किनारे मगरमच्छ देखे जाने से ग्रामीण दहशत में आ गए। देखने वाले तमाशबीन एकत्र हो गए। महेशपुर रेंज मुख्यालय के दक्षिण निकली कठिना नदी के किनारे बने एक मंदिर के पास शुक्रवार को खेतों में काम कर रहे एवं पशु चरा रहे ग्रामीणों ने मगरमच्छ को तैरते देखा। शिकार के मकसद से मगरमच्छ के तैरकर पानी के बाहर आने के प्रयास को देखकर ग्रामीण दहशत में आ गए। पशु चरा रहे ग्रामीण पशुओं को लेकर भागने लगे। वन दारोगा जगदीश वर्मा ने बताया कि नदी में अधिक पानी आने के साथ इनके आने की संभावना रहती है। मगरमच्छ गहरे पानी वाले स्थान पर प्राकृतिक तरीके से रुकना पसंद करते हैं।