बाघ की घेराबंदी के लिए हाथियों ने संभाली कमान
एक माह के भीतर चार ग्रामीणों व सांड़ को निवाला बनाने वाले हिसक बाघ की घेराबंदी तेज कर दी है।
लखीमपुर: एक माह के भीतर चार ग्रामीणों व सांड़ को निवाला बनाने वाले हिसक बाघ की घेराबंदी की मुहिम तेज कर दी गई है। कतर्नियाघाट से दो हाथी कांबिग के लिए मझरा पूरब पहुंच गए हैं। स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स की तैनाती के साथ ही डब्ल्यूडब्ल्यूएफ और डब्ल्यूटीआइ के विशेषज्ञ बाघ के मूवमेंट पर नजर रखे हुए हैं। बफरजोन के उपनिदेशक डॉ. अनिल कुमार पटेल ने वनकर्मियों को निर्देश दिया है कि वे कांबिग में कतई कोताही न बरतें।
बाघ की लोकेशन लेने के लिए शनिवार को कतर्नियाघाट वन्यजीव विहार से दो मादा हाथियों चंपाकली व जयमाला ने जंगल के किनारों पर दिनभर भ्रमण किया। इसके साथ ही वनकर्मियों के साथ एसटीपीएफ के जवानों ने जंगल इलाके में बाघ की लोकेशन के लिए कांबिग की।
अधिकारियों के मुताबिक, दोनों हाथी कांबिग के मामले में काफी योग्य हैं। कांबिग के दौरान बेलराया क्षेत्र के वनरक्षक जगमोहन मिश्रा, वनदरोगा का हरिलाल, महावत मोहर्रम अली व विनोद को बाघ के कई पगचिन्ह मिले। हालांकि सांड़ के शिकार के बाद से बाघ जंगल के बाहर कहीं नहीं देखा गया है। अधिकारियों का तर्क है कि बाघ जंगल के अंदर ही है। एहतियात के तौर पर रेंज के गांवों में सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं, ताकि फिर से बाघ किसी ग्रामीण पर हमला न कर सके।
रेंज विमिलेश कुमार का कहना है कि ग्रामीणों को जंगल अकेले न जाने की हिदायत दी गई है। खेतों में गन्ना कटाई के समय शोर मचाते रहने के लिए कहा गया है। इससे बाघ के हमले से ग्रामीण बच सकते हैं।