सर्वे के बाद बनी परियोजना निरस्त, विधायक ने लिखा मंत्री को पत्र

सिचाई विभाग से चौबीस करोड़ की बाढ़ नियंत्रण परियोजना पास हुई थी।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 03 Nov 2020 11:06 PM (IST) Updated:Tue, 03 Nov 2020 11:06 PM (IST)
सर्वे के बाद बनी परियोजना निरस्त, विधायक ने लिखा मंत्री को पत्र
सर्वे के बाद बनी परियोजना निरस्त, विधायक ने लिखा मंत्री को पत्र

लखीमपुर: सिचाई विभाग से चौबीस करोड़ की बाढ़ नियंत्रण परियोजना पास हुई थी। जिसका कार्य भी कराया गया, उसके बाद शारदा के तेज प्रवाह ने रेवतीपुरवा के पास से बझेड़ा के करीब नदी ने अपना रुख बदल कर भूमि काटना शुरू कर दिया था। जिस पर ग्रामीणों की मांग पर पांच ठोकरें बनाई गईं, लेकिन अगले वर्ष इन ठोकरों को भी शारदा ने निगल लिया और गांव के करीब आ पहुंची। वहीं रेवती पुरवा से बजेड़ा गांव के लोगों के लिए संकट फिर से खड़ा हो गया। मामले पर गोला के विधायक अरविद गिरी ने प्रदेश के सिचाई मंत्री को पत्र लिखकर परियोजना बहाल कर जल्द काम शुरू कराने को कहा है।

हजारों ग्रामीणों की दैनिक जागरण आवाज बना तो शासन ने संज्ञान लेते हुए उस बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का शारदा नदी के दाहिने किनारे पर स्थित पुरानी परियोजना जो लगभग 23 से 25 किलोमीटर तक का दायरा ट्रेस किया। ग्राम रेवतीपुर बिजुआ बझेड़ा और अकालगढ़ के पास तथा ग्राम समूह एवं लौकहा को बचाने के लिए पुरानी परियोजना के अपस्ट्रीम में कटान निरोधक कार्य की परियोजना व दूसरी शारदा नदी के दाहिने किनारे पर स्थित ग्राम समूह कुंवरपुर कला बझेंड़ा तथा मिस्त्री पुरवा की सुरक्षा के लिए कटान नियंत्रण कार्य की परियोजना का सर्वे कराया। सर्वे रिपोर्ट शासन को भेजी, लेकिन शासन ने इसे निरस्त कर दिया। जिस पर ग्रामीण अपनी समस्याओं को लेकर रविवार को क्षेत्रीय विधायक अरविद गिरी से मिलने पहुंचे थे। ग्रामीणों ने विधायक के सामने इस समस्या को रखा। विधायक अरविद गिरी ने ग्रामीणों को सांत्वना देते हुए मंगलवार को प्रदेश के सिचाई मंत्री को एक पत्र भी लिखा है।

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क्या है परियोजनाओं की प्रकिया

सिचाई विभाग का बाढ़ खंड बाढ़ के बाद क्षतिग्रस्त और कटान वाले क्षेत्रों में सर्वे के उपरांत बाढ़ नियंत्रण की परियोजनाएं तैयार करता है। इन परियोजना पर सिचाई विभाग के उच्चाधिकारी अध्ययन करने के बाद स्वीकृति के लिए सिचाई विभाग को परियोजना भेज देते है। इन पर बाढ़ आने से पूर्व कार्य आरंभ कराया जाता है। वित्तीय स्वीकृति के बाद बाढ़ खंड टेंडर कर कार्य आरंभ कर देता है। धनावंटन बाद में हो जाता है।

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