दिन भर लिया लोगों ने गुनगुनी धूप का आनंद

बच्चों ने मैदानों में खेले खेल 22 स्थानों पर प्रशासन ने जलवाए अलाव

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Dec 2020 10:08 PM (IST) Updated:Mon, 21 Dec 2020 10:08 PM (IST)
दिन भर लिया लोगों ने गुनगुनी धूप का आनंद
दिन भर लिया लोगों ने गुनगुनी धूप का आनंद

लखीमपुर : सुबह कोहरा, दोपहर में धूप और पूरे दिन बर्फीली हवाएं। शीतलहर के चलते सबसे ज्यादा दिक्कत सड़कों के किनारे जिदगी गुजारने वालों को हो रही है पूरे दिन बर्फीली हवाओं से सामना कर के अपनी आजीविका चलाने वालों के लिए नगर पालिका परिषद ने शहर में करीब 22जगहों पर अलाव जलवा दिए हैं।चढ़ता गिरता पारा लोगों के लिए कभी आराम और कभी दिक्कतें बढ़ा रहा है। सोमवार की सुबह से ही मौसम साफ था। कांतिलाल करीब सात बजे तक कोहरा रहा लेकिन इसके बाद

पूरे दिन निकली धूप ने लोगों को राहत दी।

दिन में 10 बजे के बाद जब धूप तेज हुई तो लोग गुनगुनी धूप का आनंद लेने के लिए सड़कों, छतों पर भी पहुंचे।अस्पताल में मरीज और उनके तीमारदारों ने भी धूप सेंकी।मैदानों में युवाओं और बच्चों ने पतंग उड़ा कर या खेल खेल कर मौसम का आनंद लिया। शहर का रेलवे स्टेशन तो इन दिनों धूप लेने वालों के लिए सबसे अच्छी जगह बन चुका है, जहां दोपहर के वक्त आस-पड़ोस के बुजुर्ग सीटों पर बैठकर गुनगुनी धूप सेकते रहते हैं, सोमवार को भी यहां लोग घूमते टहलते और धूप का आनंद लेते रहे। शाम ढलने के बाद फिर लोग बर्फीली हवाओं से ठिठुरते रहे। अधिकतम तापमान 18 .2 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 8.2 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। शाम के वक्त फिर गलत और ठिठुरन बढ़ गई लेकिन आसमान साफ रहा कोहरा और बादल नहीं दिखाई दिए। तापमान में कमी से किसान अपनी फसलों को कैसे बचाएं

लखीमपुर : उद्यान विभाग किसानों को आलू , आम एवं शाकभाजी फसलों को समसामयिक रोगों एवं व्याधियों से बचाने के लिए जागरूक कर रहा है।जिले में आलू , आम , केला एवं शाकभाजी फसलों की गुणवत्तायुक्त उत्पादन के लिए सम - सामयिक महत्व के रोगों व व्याधियों को समय से नियंत्रण किया जाना आवश्यक है । मौसम विभाग ने प्रदेश में तापमान में गिरावट , कोहरा , की सम्भावना व्यक्त की है। 600 हेक्टेयर आलू जिले में बोया गया है। तापमान में गिरावट एवं बूंदाबांदी की स्थिति में आलू की पछेती फसल झुलसा रोग के प्रति अत्यन्त संवेदनशील है । प्रतिकूल मौसम विशेषकर बदलीयुक्त बूंदा - बांदी एवं नम वातावरण में झुलसा रोग का प्रकोप बहुत तेजी से फैलता है तथा फसल को भारी क्षति पहुंचती है ।

झुलसा रोग के प्रकोप से पत्तियां सिरे से झुलसना शुरू होती हैं , जो तीव्रगति से फैलती हैं। पत्तियों पर भूरे काले रंग के जलीय धब्बे बनते हैं। पत्तियों के निचली सतह पर रूई की तरह फंफूद दिखाई देती है। बदलीयुक्त 80 प्रतिशत से अधिक आ‌र्द्र वातावरण व 10-20 डिग्री सेंटीग्रेड तापक्रम पर इस रोग का प्रकोप बहुत तेजी से होता है। दो से चार दिनों के अंदर ही संपूर्ण फसल नष्ट हो जाती है। आलू की अगेती और पछेती फसल को झुलसा रोग से बचाने के लिए जिक मैगनीज कार्बामेट 2.0 से 2.5 कि ग्रा अथवा मैंकोजेब 2 से 2.5 कि ग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से 800 से 1000 ली पानी में घोल बनाकर छिड़काव किया जाए। माहू कीट के प्रकोप की स्थिति में नियंत्रण के लिए दूसरे छिड़काव में फफूंदीनाशक के साथ कीट नाशक जैसे-डायमेथोएट 1.0 ली 0 प्रति हेक्टेयर की दर से मिलाकर छिड़काव करना चाहिए । जिन खेतो में झुलसा रोग का प्रकोप हो गया हो तो ऐसी स्थिति में रोकथाम के लिए अन्त: ग्राही (सिस्टेमिक ) फफूंद नाशक मेटालेक्जिल युक्त रसायन 2.5 किग्रा अथवा साईमोक्जेनिल फफूंदनाशक युक्त रसायन 3.0 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने की सलाह दी जाती है ।

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