कई सरकारी विभागों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं
भूगर्भ में मीठे जल की कमी न हो इसके लिए तैयारी शुरू कर दी गई है।
लखीमपुर : भूगर्भ में मीठे जल की कमी न हो इसके लिए तैयारी शुरू कर दी गई है। जिले के सरकारी भवन रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से बारिश के जल का संरक्षण करेंगे। कई विभागों ने बजट की समस्या बताई है। जिला प्रशासन ने इसके लिए शासन स्तर पर मंजूरी के लिए प्रस्ताव भेजा है। जिले में करीब 4585 भवन चिन्हित किए गए हैं, जिनमें यह सिस्टम लगाया जाना है। सभी पीएचसी, सीएचसी, प्राइमरी, जूनियर स्कूल ब्लॉक कार्यालय और पंचायत भवन शामिल हैं। भूजल के गिरते स्तर और पानी के संकट से निपटने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग ही सबसे बेहतर विकल्प है। जिले में अभी तक जिला पंचायत, नगर पालिका, आइटीआइ, पालीटेक्निक, जिला कमांडेंट होमगार्ड, विकास खंड गोला, जिला पंचायत, सीएमओ कार्यालय, जिला प्रशिक्षण अधिकारी ग्राम्य विकास विभाग समेत 12 सरकारी भवनों में ही यह सिस्टम लग चुका है। वर्षा जल संरक्षण के लिए जागरूकता बढ़ी तो है, लेकिन अब भी सरकारी कार्यालय रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था नहीं कर पाए हैं। मानसून सक्रिय होने से पहले हर साल वर्षा के जल को संरक्षित करने के लिए गोष्ठियों का आयोजन कर लोगों को लघु सिचाई विभाग जागरूक करता है, लेकिन धरातल पर इसका बहुत असर नहीं दिख रहा।
कलेक्ट्रेट, विकास भवन, पुलिस लाइन, तहसील, सदर पशु अस्पताल, डीडी कृषि प्रसार छाउछ, जिला गन्ना अधिकारी कार्यालय, मंडी समिति, चीनी मिल परिसर में भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं हैं। लघु सिचाई विभाग ने विकास भवन के लिए 1600 वर्गमीटर में रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाए जाने के लिए प्रस्ताव भेजा है। ये सिस्टम लगाने में करीब दस लाख रुपये का व्यय आएगा। गोला ब्लॉक की सभी ग्राम पंचायतों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट निर्माण के लिए बैठक में प्रस्ताव किया गया है। एक्ट के मुताबिक 300 वर्गमीटर से अधिक भवनों में ये सिस्टम लगाए जाने चाहिए।
कल्पना वर्मा,
सहायक अभियंता
लघु सिंचाई