पसगवां सीएचसी को नहीं मिल रहा गोद लेने वाला
शासन की मंशानुरूप स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक प्रभावी बनाने के लिए सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को गोदलेने की व्यवस्था हो रही है।
लखीमपुर : शासन की मंशानुरूप स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक प्रभावी बनाने के लिए सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को जनप्रतिनिधि द्वारा गोद लिया जाना है। मोहम्मदी तहसील क्षेत्र में पसगवां व मोहम्मदी दो सीएचसी हैं। मोहम्मदी सीएचसी को तो क्षेत्रीय विधायक लोकेंद्र प्रताप सिंह ने गोद ले लिया, लेकिन पसगवां सीएचसी को अब तक कोई संरक्षक नहीं मिल सका।
कोरोना संक्रमण काल में स्वास्थ्य सेवाओं पर प्राथमिकता से काम करने वाले पीएम व सीएम का यह महत्वाकांक्षी अभियान पसगवां में सत्ता के जनप्रतिनिधियों ने फेल कर दिया है। क्षेत्रीय सांसद, विधायक या अन्य जनप्रतिनिधि को एक सीएचसी गोद लेनी है, लेकिन पसगवां को कोई भी गोद लेने को तैयार ही नहीं है। ऐसे में क्षेत्र की जनता के प्रति जनप्रतिनिधियों की सजगता को आसानी से परखा जा सकता है। बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं, गंदगी व स्टाफ की गुटबाजी को लेकर अक्सर चर्चा में रहने वाली सीएचसी पसगवां अपने अभिभावक की तलाश में निहार रही रही ताकि यहां की समस्याओं को निजात मिल सके। मरीजों को समुचित इलाज व जांच की सुविधा उपलब्ध हो सके। यहां पर आपातकालीन, संसाधन, चिकित्सक की कमी से तो सीएचसी तो खुद ही बीमार रहती है। एक माह में लगभग 90 से अधिक डिलीवरी होने के बाद भी यहां पर महिला चिकित्सक की तैनाती नहीं है। नियमित सफाई कर्मचारी की तैनाती न होने के कारण अस्पताल परिसर सहित प्रसव कक्ष आदि स्थानों पर गंदगी की भरमार बनी रहती है। एक्सीडेंटल या इमरजेंसी वाले मरीज को बिना इलाज के ही रेफर कर दिया जाता है। साधारण मर्जों के अलावा अन्य बीमारियों की दवाओं के लिए मरीजों को पर्चा लिख दिया जाता है। लापरवाही का आलम यह है कि यहां गंदगी के अलावा जरूरी उपकरण भी सुरक्षित नहीं हैं। अस्पताल पहुंचने वाले तीमारदारों के लिए कोई भी व्यवस्था नहीं है। अस्पताल में एक्सरे मशीन, डेंटल मशीन आदि तो है लेकिन इनको चलाने वाले टेक्नीशियन नहीं तैनात हैं। 30 बेड वाले इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर महिला चिकित्सक की तैनाती न होने के कारण किशोरियों व महिलाओं को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। अस्तपाल में मौजूद एएनएम व स्टाफ नर्स को मजबूरन प्रसव कराना पड़ रहा है। ऐसे में जच्चा-बच्चा की जिदगी खतरे में रहती है। दंत चिकित्सक के पद पर तैनात डॉक्टर कभी आती ही नहीं हैं जब भी जानकारी की जाती तो वह जिले पर अटैच बता दी जाती है। अस्पताल में कोविड से बचाव को लेकर दो ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, नौ सिलेंडर व दवा तो उपलब्ध लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सक का अभाव है। अभी तक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पसगवां को गोद लेने के संबंध में न ही किसी जनप्रतिनिधि न दिलचस्पी दिखाई है और न कोई निर्देश प्राप्त हुआ है। चिकित्सक की कमी से बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर विभागीय अधिकारियों को अवगत कराया जाता है। मौजूद संसाधन व स्टाफ से ही मरीजों को अच्छा उपचार देने का प्रयास किया जाता है।
डॉ. अश्वनी वर्मा, अधीक्षक सीएचसी पसगवां