कछुआ की चाल से हो रहा एनएच-30 का निर्माण
जर्जर सड़क..उखड़ी बजरी.. पग पग पर जानलेवा गड्ढे खतरनाक रेन कट और मोड।
लखीमपुर : जर्जर सड़क..,उखड़ी बजरी.., पग पग पर जानलेवा गड्ढे, खतरनाक रेन कट और मोड़.. जी हां यह किसी गांव या कस्बे का कोई लिक मार्ग नहीं बल्कि एनएच 30 के बदहाली की कहानी है। चपरतला क्षेत्र से होकर गुजरा यह हाईवे देश-प्रदेश की राजधानी को सीधा जोड़ता है। हाईवे होने की वजह से किसी भी वक्त सड़क वाहनों से खाली नहीं रहती है। आम से लेकर खास (वीआइपी) तक सफर करते हैं लेकिन, इसकी बिगड़ी सूरत सिस्टम को मुंह चिढ़ा रही है। इस हाईवे पर चलने में लोग खौफ खाते हैं, लेकिन मजबूरी में सफर कर रहे हैं।
कोरोना काल में इस हाईवे के निर्माण की गति कछुआ जैसी हो गई है। हालात यह हैं कि कहीं खाई खोदकर डाल दी गई है। तो कहीं मिट्टी पटान का काम ही नहीं हुआ। कई जगह पर पेड़़ कटे हैं तो रास्ता समतल नहीं है। इस हाईवे पर सफर करना जानलेवा साबित हो सकता है। इस हाईवे के निर्माण में एनएचएआइ के अधिकारी शुरू से ही लापरवाही कर रहे हैं। जिससे निर्माण बहुत धीमी गति से चल रहा है।
नेशनल हाईवे 30 पर सीतापुर से बरेली के बीच 157 किलोमीटर की सड़क के लिए 822 करोड़ का बजट स्वीकृत हुआ है। इस 157 किलोमीटर के सफर में सीतापुर से बरेली के बीच सफर करने के दौरान दो टोल प्लाजा पहला मैगलगंज के चपरतला क्षेत्र तथा दूसरा बरेली के फरीदपुर क्षेत्र में स्थापित है। इसके अतिरिक्त चार बाईपास मार्ग महोली, मैगलगंज, जेबीगंज, फरीदपुर भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त है। क्या कहते हैं जिम्मेदार
हेमपुर फाटक से चपरतला गोमती पुल तक का कार्य सिद्धार्थ कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया गया था। जिसके द्वारा कार्य नहीं किया गया, जिसके चलते दूसरी कंपनी राज कंस्ट्रक्शन कंपनी को टेंडर दिया गया है, क्योंकि राज कंस्ट्रक्शन कंपनी पहले से ही शाहजहांपुर से बरेली का निर्माण कर रही थी। इसी के चलते हाल ही में इस क्षेत्र का चार्ज हैंडओवर हुआ है, जल्द ही निर्माण शुरू हो कर सारे मार्गों को दुरुस्त किया जाएगा। कुछ सरकारी धन के अभाव के चलते भी निर्माण कार्यों में देरी हो रही है।
अरुण वर्मा, चीफ इंजीनियर, कार्यदायी संस्था एनएचएआई