पैदा होते ही 42 दिनों तक होगी नवजात की ट्रैकिग

संवादसूत्र लखीमपुर पटरी से उतर चुकी जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था अब सीडीओ अरविद सिंह के रडार पर आ गई है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 05 Dec 2019 10:44 PM (IST) Updated:Thu, 05 Dec 2019 10:44 PM (IST)
पैदा होते ही 42 दिनों तक होगी नवजात की ट्रैकिग
पैदा होते ही 42 दिनों तक होगी नवजात की ट्रैकिग

लखीमपुर: पटरी से उतर चुकी जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था अब सीडीओ अरविद सिंह के रडार पर आ गई है। खासकर नवजातों की सेहत को लेकर हो रहे प्रयासों को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए सीडीओ ने जिम्मेदारों के पेंच कसे हैं। कहा कम वजन के जो बच्चे पैदा होते हैं, उनको लेकर आए दिन परिवारीजन परेशान होते हैं। अब इस समस्या को दूर करने के लिए सीडीओ ने 42 दिनों तक नवजात की ट्रैकिग किए जाने की व्यवस्था के कड़ाई से पालन का निर्देश दिया। नवजात के लिए ये 42 दिन बेहद महत्वपूर्ण होता है।

इसके लिए यूनीसेफ की ओर से एक सॉफ्टवेयर लांच किया जा रहा है। उप्र के इकलौते खीरी जिले में शुक्रवार से इसे लागू किया जाएगा। इस सॉफ्टवेयर के जरिए बच्चा चाहे सीएचसी, पीएचसी, किसी नर्सिंग होम या घर पर पैदा हो रहा हो, इसका डाटा 24 घंटे में फीड किया जाएगा। इसमें आशा द्वारा बच्चे का वजन भी शामिल होगा। आशा व एएनएम को समय-समय पर बच्चे का स्वास्थ्य परीक्षण भी करेंगी और लगातार इसकी जानकारी ब्लॉक स्तर पर भी उपलब्ध कराती रहेंगी। इस पूरी प्रक्रिया का मॉनीटरिग खुद सीडीओ अपने स्तर से करेंगे। सीडीओ ने कहा कि नवजातों की सेहत हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए, क्योंकि इससे देश का निर्माण हो रहा है।

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गांवों में नहीं जाती आशा व एएनएम

स्वास्थ्य विभाग की बैठक में सीडीओ के सवालों का जवाब देने में स्वास्थ्य अधिकारियों के पसीने छूट गए। जो स्थितियां सामने आई उससे यह स्पष्ट हुआ कि आशा व एएनएम गांवों में नहीं पहुंच रही हैं। जिले में 3689 तथा 165 आशा संगिनी हैं। उनके पास थर्मामीटर व वजन मशीन भी दिया गया है लेकिन, यह उनके पास शो-पीस बना हुआ है। सीडीओ ने कहा कि उपकरण खराब होने या किसी अन्य तरीके की बहानेबाजी कतई नहीं चलेगी।

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