समय बीतने के साथ लापता लोगों के जीवन का बढ़ रहा संकट

उत्तराखंड के तपोवन में जलप्रलय से हुई तबाही का आज छठा दिन है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 11 Feb 2021 11:27 PM (IST) Updated:Thu, 11 Feb 2021 11:27 PM (IST)
समय बीतने के साथ लापता लोगों के जीवन का बढ़ रहा संकट
समय बीतने के साथ लापता लोगों के जीवन का बढ़ रहा संकट

लखीमपुर : उत्तराखंड के तपोवन में जलप्रलय से हुई तबाही का आज छठा दिन है। समय जैसे-जैसे बीत रहा है लापता लोगों के जीवन का संकट भी वैसे-वैसे बढ़ता जा रहा है लेकिन, इसके बाद भी उम्मीदों की आस अभी बंधी हुई है। लापता लोगों के घरों से रात दिन निकलने वाली महिलाओं की चीख-पुकार को सुनकर गांव के बच्चे, बुजुर्ग, नौजवान हर कोई गमगीन है। लापता लोगों में सबसे ज्यादा मजदूर सिगाही थाना क्षेत्र के ग्राम इच्छानगर, तारनकोठी और भैरमपुर के हैं। बेलरायां के बाबूपुरवा के छह और भूलनपुर के एक मजदूर के अलावा कड़िया, तिकुनिया और सिगाही का एक मजदूर भी इस त्रासदी की चपेट में आए हैं। इन सभी के घरों में महिलाओं की चीख-पुकार गांववालों को झकझोर कर रख दे रही हैं। गुरुवार को जैसे ही बाबूपुरवा गांव में सूरज का शव पहुंचा तो उत्तराखंड के जलप्रलय में लापता हुए गांव के अन्य मजदूरों के घरों पर भी कोहराम मच गया। गांव वालों ने इन घरों में जाकर परिवारजन को सांत्वना दी, पर लापता लोगों के घरों के बच्चे और महिलाएं दहाड़े मार-मार कर रोने लगे। लापता लोगों के घरों की कुछ महिलाएं तो गश खाकर गिर पड़ीं। चीख पुकार सुनकर हर किसी की आंखें नम हो गईं और कलेजा मुंह को आ गया। आलम यह है कि जिन गांवों के मजदूर उत्तराखंड त्रासदी में लापता हैं, उन गांवों की दिनचर्या अब थम सी गई है। गुरुवार को इलाके के हर गांव, गली चौराहों से लेकर होटल तक हर जगह बस उत्तराखंड में हुई तबाही की ही चर्चा सुनाई दे रही थी। अब हर कोई इस प्राकृतिक त्रासदी में लापता लोगों के बारे में अलग-अलग तरह की चर्चाएं कर रहा है। कुछ लोगों को अब भी ईश्वर पर भरोसा है। लापता लोगों के ज्यादातर परिवारजन अपनों की तलाश में तपोवन में डेरा जमाए हुए हैं। इस उम्मीद और आस के साथ कि किसी तरह से उनके अपने उनको मिल जाएं।

chat bot
आपका साथी