अपने परिवार की आखिरी उम्मीद धर्मेंद्र
उत्तराखंड के चमोली जिले के तपोवन में काम करने गए थे।
लखीमपुर: उत्तराखंड के चमोली जिले के तपोवन में काम करने गए तराई के बाबूपुरवा भैरमपुर, इच्छानगर , तारनकोठी, सिगाही, कड़िया, तिकुनिया के मजदूरों के खुशियों वाले घरों में जहां बीते रविवार की भोर पहर तक सब-कुछ सामान्य था। वहां अब गम, इंतजार और आंसू के सिवाय कुछ भी नहीं है।
बेलरायां के भूलनपुर के धर्मेंद्र के माता-पिता बुजुर्ग हैं। धर्मेंद्र दो भाई और तीन बहने है। तीनों बहनों की शादी पहले ही हो चुकी है । धर्मेंद्र का बड़ा भाई करीब 8 साल पूर्व गांव के पश्चिम तालाब में भैंस नहलाने गया था जहां डूब कर उसकी मौत हो गई थी। धर्मेंद्र ही अपने परिवार का अकेला सहारा था। रविवार को उत्तराखंड के चमोली जिले के तपोवन में ग्लेशियर फटने और जल विद्युत परियोजना का बांध टूटने के कारण हुई जलप्रलय में धर्मेंद्र अभी भी लापता है। उसका कोई अता पता नहीं चल पाया है। परिवारीजन का रो रो कर बुरा हाल है। उसके पिता नत्थू लाल बेसुध हैं। मां बार-बार गश खाकर गिर रही है। धर्मेंद्र के घर पर गांव वालों का तांता लगा हुआ है। उनके माता-पिता हर आने जाने वाले लोगों को देखकर कर चीख चीख कर रो रहे हैं,और बार-बार यह कह रहे हैं कोई है जो उनको उनके लाल से मिलवा दे।
आठ लोगों का पेट भरता था रामू
तिकुनिया : चमोली में आई जल प्रलय में तिकुनिया का लापता रामू अपने बुजुर्ग माता-पिता, दो बहने व तीन अन्य भाई का अपनी कमाई से पेट भरता था। जब रामू के घर हालात का जायजा लेने पहुंचे तो रामू की मां हिरनिया बिलख बिलख कर रोने लगी। रामू की मां हिरनिया ने बताया कि उसके परिवार का चूल्हा रामू की कमाई से ही चलता था। बहनों की शादी के लिए गया था कमाने
चमोली में आई जल प्रलय में लापता तिकुनिया का रामू अपनी बहनों की शादी के लिए रकम जुटाने गया था। रामू की मां हिरनिया ने बताया कि परिवार में रामू सबसे बड़ा था। जिस पर अपनी 2 जवान हो चुकी बहनों की शादी के लिए भी जिम्मेदारी थी। वह कमाने के लिए चमोली गया हुआ था। रामू के साथ घटना होने के बाद बुजुर्ग माता-पिता, दो बहने व तीन छोटे भाइयों पर मानो पहाड़ सा टूट गया हो। रामू की मां ने बताया कि घर का चूल्हा लोगों की मदद के सहारे हो गया है। शेरसिंह पर थी परिवार की जिम्मेदारी चमोली में आई जल प्रलय मैं लापता तिकुनिया का शेर सिंह अपनी कमाई से ही अपने परिवार का पेट पालता था। परिवार में पत्नी के अलावा दो छोटे-छोटे बच्चे हैं। घटना में लापता शेर सिंह की सूचना मिलने से परिवार में मातम बना हुआ है। शेर सिंह की पत्नी लक्ष्मी ने बताया कि पति के कमाई से घर चलता था। अब घर कैसे चलेगा यह सोचकर वह कांप उठती हैं।
पहुंच रहे अधिकारी तत्काल मदद के नाम पर कुछ नहीं चमोली में आई जल प्रलय में तिकुनिया के चार लोग लापता हैं। जिनके परिवार वालों से प्रशासनिक अधिकारी लगातार मिलने पहुंच रहे हैं। अधिकारी पहुंच तो रहे हैं। मगर आश्वासन और सांत्वना के अलावा कुछ भी राहत नहीं दे रहे हैं। घटना मे लापता गौरीशंकर, शंकर, रामू व शेर सिंह के परिवार वालों को प्रशासन की तरफ से तत्काल कोई राहत अभी तक नहीं दी गई है। चमोली की घटना में लापता चारों के परिजनों ने बताया कि उनका चूल्हा लापता गौरीशंकर, शंकर, शेर सिंह व रामू की कमाई से ही चलता था। मगर अब कैसे चलेगा यह कोई नहीं सोच रहा है।
खिचड़ी से था छुट्टी पर तो बच गई जान अपनों को खोने वाले तिकुनिया के राज चौधरी चमोली में हुई जल प्रलय की घटना को याद कर सिहर उठते हैं। तिकुनिया के गौरीशंकर व शंकर चमोली में हुई जल प्रलय की घटना के बाद से लापता है। तिकुनिया के राज चौधरी की भी इनके साथ दिन में ड्यूटी थी। मगर राज चौधरी बीते माह खिचड़ी बनाने छुट्टी पर आ गए थे। राज चौधरी की माने तो वह छुट्टी पूरी कर काम पर लौटने की तैयारी कर रहे थे। छुट्टी पूरी कर लौटने से पूर्व हुई इस जल प्रलय की घटना के बारे मे सुनकर राज चौधरी व उसका पूरा परिवार सिहर उठता है। राज चौधरी ने दैनिक जागरण को बताया कि वह खिचड़ी पर छुट्टी मनाने आया था। उसकी ड्यूटी तपोवन के चमोली में दिन में ही थी। वह भी अगर छुट्टी पर न आया होता तो उसके साथ भी यह बड़ी घटना हो जाती। यह सोचकर वह सहम उठता है। इधर चमोली में हुई जल प्रलय की घटना के बाद से ही लापता गौरीशंकर व शंकर के परिजन रो-रोकर बेहाल बने हुए हैं।