कोरोना काल से अब तक पहुंचाए सात हजार सैंपल

जिले से सैंपल लाना ले जाना विभिन्न विकास खंडों से आने वाले सैंपल को इकट्ठा करनालेकिन इसके पीछे भी वे समाज सेवा का भाव मानते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Jan 2021 11:09 PM (IST) Updated:Wed, 20 Jan 2021 11:09 PM (IST)
कोरोना काल से अब तक पहुंचाए सात हजार सैंपल
कोरोना काल से अब तक पहुंचाए सात हजार सैंपल

विकास सहाय, लखीमपुर

जिला मुख्यालय से लखनऊ कोरोना के सैंपल ले जाने का काम वाहन चालक राजेंद्र पाल सिंह करते हैं। मार्च में कोरोना की शुरुआत से लेकर, अब तक कोरोना के सैंपल राजेंद्र पाल ही ले जाते हैं। अब तक लगभग सात हजार सैंपल ले जाने वाले राजेंद्र पाल ने महामारी कोरोना के दौरान काफी संघर्ष किया।

जिले से सैंपल लाना ले जाना विभिन्न विकास खंडों से आने वाले सैंपल को इकट्ठा करना,लेकिन इसके पीछे भी वे समाज सेवा का भाव मानते हैं। उनका खुद का भी कहना है कि बीमारी किसी भी व्यक्ति को हो सकती है, जिस तरह हमें सहायता की जरूरत होती है। ऐसे ही दूसरों को भी होती है, अपने कर्तव्य के साथ यदि सेवा भाव होगा तो कार्य और बेहतर होगा। वह अपनी ड्यूटी को समर्पण के भाव से करेंगे तो वही समाज के प्रति हमारी सच्ची सेवा ही होगी।

स्वास्थ विभाग में बतौर ड्राइवर तैनात राजेंद्र पाल सिंह बताते हैं कि कोरोना के वे दिन बहुत कठिनाई भरे दिन थे, खुद को भी संक्रमण से बचाना, परिवार का पालन पोषण करना, सुबह सैंपल ले जाकर शाम को वापस समय से लौटना यह सब एक चुनौती भरा काम था।

इस दौरान उनकी गाड़ी से दुर्घटना भी हुई लेकिन समस्त बाधाओं को पार करते हुए समर्पण भाव से कार्य किया।इसके लिए शासन और प्रशासन के द्वारा उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया गया है। 58 वर्षीय राजेंद्र पाल के पिता रामस्वरूप साधारण किसान थे। शहर की गढ़ी रोड के किनारे रानी पद्मावती कॉलोनी में रहने वाले राजेंद्र पाल के परिवार में पत्नी और दो बच्चे हैं। पिछले करीब 20 वर्षो से राजेंद्र पाल स्वास्थ विभाग में कार्यरत हैं। कोरोना काल के दौरान उन्होंने चौबीसों घंटे समर्पण भाव से काम किया।

दुर्घटनाग्रस्त होकर भी करते रहे काम

जिला मुख्यालय से लखनऊ सैंपल ले जाते समय एक बार राजेंद्र पाल का रास्ते में एक्सीडेंट भी हो गया था,लेकिन उन्होंने इसके बावजूद अपनी सेवा जारी रखी, उनका कहना है कि हल्की-फुल्की चोट को किनारे रखकर यदि काम हो सकता है तो उसे तत्परता के साथ करना चाहिए। जिम्मेदारी और सेवा के भाव ने उन्हें कोरोना काल में भी बैठने नहीं दिया। इस महामारी से संघर्ष करके ही वे आज भी लोगों को जीवन दान दे रहे हैं।

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