बीमारियों से जंग में एंबुलेंस चालक व टेक्नीशियन दक्ष

एक्यूट एन्सेफेलाइटिस सिड्रोम यानी एईएस जैसी बीमारी के लिए शहर के एंबुलेंस चालक और टेक्नीशियन प्रशिक्षित।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 03 Dec 2020 10:48 PM (IST) Updated:Thu, 03 Dec 2020 10:48 PM (IST)
बीमारियों से जंग में एंबुलेंस चालक व टेक्नीशियन दक्ष
बीमारियों से जंग में एंबुलेंस चालक व टेक्नीशियन दक्ष

लखीमपुर : एक्यूट एन्सेफेलाइटिस सिड्रोम यानी एईएस जैसी बीमारी के लिए शहर के एंबुलेंस चालक और टेक्नीशियन को प्रशिक्षण दिया गया है। दो दिवसीय प्रशिक्षण में वाहन चालक और टेक्नीशियन को इस बुखार से पीड़ित मरीज की बारीकियां समझाते हुए उसके साथ किस तरह का व्यवहार करना है, उसे लाते वक्त कैसे संभालना है। इन सबके बारे में बताया गया। ऑनलाइन हुए प्रशिक्षण में करीब 300 एंबुलेंस कर्मियों ने बारीकियां सीखीं। अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. अश्वनी कुमार के साथ वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश ने सीएमओ कार्यालय के कक्ष से जिले भर के एंबुलेंस कर्मी और टेक्नीशियन को एईएस बुखार के बारे में बताया। डॉ. अश्विनी कुमार ने बताया कि ज्यादातर इसका अटैक बच्चों पर पड़ता है। एक साल से 10 वर्ष तक के बच्चे इसकी चपेट में ज्यादा जाते हैं, क्योंकि ज्यादातर लापरवाही इन्हीं बच्चों से होती है। उन्होंने बताया कि अक्सर मरीज बेहोशी की अवस्था में होता है। ऐसी हालत में उसे जगाने की अपेक्षा उसके ऑक्सीजन लगा कर के ही उसे एंबुलेंस के माध्यम से अस्पताल पहुंचाया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि अगर मरीज के मुंह से झाग निकल रहा है तो उसे पोछते रहना चाहिए। मरीज को सीधे के बजाय करवट लिटाना चाहिए। साथ में मौजूद वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ ने भी बताया कि टेक्नीशियन को चाहिए कि एंबुलेंस के अंदर सभी चीजें मौजूद रहें। सारे उपकरण काम कर रहे हों। इसकी बराबर जांच कराते रहना चाहिए। मरीज को यदि बार-बार झटके आ रहे हैं तो उसके दांतों के बीच में कपड़ा लगा दें, जिससे उसकी जबान कटने से बच जाए। जिले में 108 तथा 102 एंबुलेंस सेवाओं की करीब 94 गाड़ियां हैं, जो मरीजों को ग्रामीण क्षेत्रों से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या जिला अस्पताल लाने का काम करती हैं। सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल ने बताया कि ठंड के समय में ज्यादातर ऐसी बीमारी की संभावना बढ़ जाती है। इसी के चलते टेक्नीशियन और एंबुलेंस चालकों को यह प्रशिक्षण दिया गया है।

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